Wednesday 30 May 2012



yauvan ki is tarunai  me ,,alsaai si angdaai me ...
sawan ki ritu baurai me ,, kab tak kare batao priytam ?
sapno ka manuhaar.. tumhare wado'n pe aitbaar........

taare karte aankh micholi.. baadal chanda ka humjoli.......
khali hai bas apna daaman ,,kab tak kare batao hum,,
yu'n tanhai se pyar ,,tumhare wado'n pe aitbaar.........

shool chubhaye purwa bairan ,, rimjhim girti barish chhamchham ,,,
pyasa pyasa sa antarman ,, kab tak jhelenge hum bolo,,,
mausam ki ye maar ,, tumhare wado'n pe aitbaar ,,,,,,

Monday 21 May 2012

मेरी लिखा  नया   छत्तीसगढी व्यंग्य   पेश करना चाहूँगी

रोड मा बइठे भंईसा ..........अऊ विधान सभा मा बइठे नेता मन ...
कई जुआर ऐके सरी लागथें ...

गाडी कतका पें -पूं करए ..
भईसा हा टरए नहीं ....
अऊ ऐ नेता मन कतको बुढाहीं ....
कुर्सी के मोह ला छोड़एँ नहीं ...

बईठे हे बबा कस बीच रोड मा ....
पूँछि ला हीलावत हे ...
माँखी ला उड़ावत हे ....

गाड़ी वाला बिचारा पें -पूं करत हे ....
भईंसा के मुडि ओला देक्खे टरत हे।......

मोर बर नइ बनाएव कोनो आवास ....
मोरो बर बनावौउ कोनो निवास ....
जब तक नाहिं बनाहू ...
मैं ट्रेफिक के करहूँ सत्या -नास .....

जइसे मोर मालिक मोला खवा -पिआ के ....
मोर दूध ला दूहत हे ,,,
वईसने नेता मन जनता के कमई ला ....
अपन समझ के चूहत हे ....
मोला तो खाए बार मालिक चारा दे दिही ...
फेर जनता के मेहनत के कमई ला .......
नेता मन भईंसा बन चरत हें .........
Kal Jab hum Chote the Aur Koi bhi
hamari Baat
Samajh Nhi Pata Tha,
Tab Sirf 1 Hasti Thi
Jo apne Tute Phoote Alfaaz Bhi Samjh
Jati Thi
.
Aur Aaj Hum Usi Hasti Ko Ye KehteHain
Ki:
(Aap Nhi Janti)
(Aap Nahi Samajh Payengi)
(Aap Ki Baate Mujhe Samajh Nahi Aati)
(Ho Gayi Ab Aap Khush)
Respect Dis "Honourable" Personality
Before The
Companionship Ends.
IT'S TRIBUTE TO OUR LOVELY
MOTHER...
Sakht rasto mein bhi aasan safar lagta
hai,
Ye mujhe MAA ki duao ka asar lagta
hai,
Ek pal k liye bhi meri MAA nhi soyi Jab..
Jb bhi meine kaha ki "MAA mujhe
andhre se dar lagta

LOVE STORY.......

Love story .. part 1 
BY: ASMITA BHAVESH SHARMA

ये उन दिनों की बात है जब हमारे पापा का ट्रान्सफर हुआ था.. वो शहर एकदम नया ,, माहोल भी नया,, और लोग भी,,, पुराना शहर ,,अपना,, घर ,,अपना स्कूल,, और अपने फ्रेंड्स को हम बहुत मिस कर रहे थे,,,, बस एक बात अच्छी  थी ,, हमे पढने का बहुत शौक़ हुआ करता था,, और हमारे पापा के पास बहुत ही उम्दा किताबें हुआ करती थी,, हम बस अपनी  छुट्टियों को उन्ही किताबों को पढ़कर स्पेंड करने लगे,, "नटरंग" का पापा के पास बहुत संग्रहण हुआ करता ,,और उसमे नाटक के मंचन की बहुत रेयर तसवीरें भी हुआ करती थी,,, शायद हमारे स्वप्न-लोक में रहने का एक कारण किशोरावस्था में पढ़ी हुई वो कहानियां ही हों ,,बहरहाल समय अपनी उसी गति से बढ़ता रहा ,,उसे किसी के तनहा होने या अपने दोस्तों को छोड़ने के दर्द से क्या,,, पापा-मम्मी हमारे नए घर की सजावट में व्यस्त  थे  और उनको भी हमारे गम का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था....कभी बातें करते भी तो बस हमारे नए  एडमिशन की और उस छोटे से शहर में अच्छा सा स्कूल ढूंढने की ,, मन तो करता उनको कहें " अगर ये जगह इतनी ही बुरी है तो हमे वहीँ क्यों न छोड़ आये,,पुराना स्कूल कितना बड़ा था और टीचर्स  सभी हमे कितना प्यार करते थे,, और हमारे फ्रेंड्स जो हमे कितना मानते थे,,, पर हमारी बात सुनने की फुर्सत ही किसे थी..
 हमे उस शहर में अभी १५ दिन ही हुए थे की हमारी सामने वाली पड़ोसन मम्मी से मिलने आई.. मम्मी से यहाँ वहां की बातें करने लगी,, और बड़े ही ताज्जुब से कहने लगी की अरे आपकी बस १ ही लड़की है,, १ लड़का और कर लेते ,, मम्मी ने हमेशा की तरह उनको कह दिया की देना होता तो भगवान ने पहले ही एक लड़का दे दिया होता ,,जो तब नहीं दिया ,उसके लिए अब सोच कर परेशां क्यों होना ,, आंटी जी कहने लगी वो तो ठीक है लेकिन इसको इतना पढ़ाने की क्या ज़रूरत है, दिन भर पता नहीं कौन सी किताबों में सर खपाई करती रहती है,, कुछ घर का काम आता है या नहीं इसको,, वो सब सिखाइए ,,जी में आया कह दें की आंटी जी आप हैं न इतनी अच्छी , आप ही आ जाइएगा ,, लेकिन जवाब मम्मी ने दिया ,, मम्मी ने कहा नहीं जी मेरी बेटी बड़ी होनहार है,, सब आता है उसको,, अब नौकरी में तो अकेले ही रहना होता है ,, ये नहीं करेगी तो कौन करेगा,,आंटी ने पता नहीं समझा या नहीं, बस मम्मी को सब बताने लगी , राशन की दूकान ,, दूध वाला, और बहुत सारी घर -गृहस्थी की बातें,, मम्मी भी सब बड़े ही ध्यान से सुनने लगी, फिर आंटी से बोली की " मेरी बेटी को एक दिन सब दिखा लाइए,, काम तो इसी क करना है न,," ... आंटी जी जो मेरे लड़की होने से वैसे ही चिढ़ी हुई थी , चौंक गयी ,, अरे इसको क्यों भेजोगी, मेरा बेटा है न ,, वो सब कर देगा ,, मम्मी ने कहा "आप क्यों तकलीफ करती हैं उसी को कह दो की शाम  को ही इसको ले जाकर सब दिखा दे,, आंटी ने अनमने मन  से हाँ कर दी .........................................  
शाम हुई और मैं दिन की बातें भूल चुकी थी,,, आंटी जी को अच्छा लगा हो या नहीं लेकिन शाम को उनका बेटा हमारे घर आया, और हम दोनों एक साथ आंटी जी की बताई हुई जगह पर गए,,,, उसकी रेंजर साइकिल और मेरी लेडी बर्ड साइकिल में चलते हुए हमने उस दिन बहुत सारे काम किये घर के,,,वो अपने बारे में मुझे बहुत कुछ बताता जा रहा था और मैं भी सुनती जा रही थी,, वो छः  भाइयों में सबसे छोटा था ,,और बहुत लाडला होगा ऐसा मुझे उसकी बातों से लगा,, मैंने तभी पहली बार गौर किया की वो कितना खूबसूरत था,,, शाम के डूबते हुए सूरज की हलकी रौशनी में खिले हुए पूर्णिमा के चाँद जैसा,, चलती हुई साइकिल में उसके बाल जब हवा से उड़ते ,,तो एक अजीब सी सिरहन महसूस की मैंने ,,,,, अनजानी ,,,अजनबी सी एक भावना,,, शायद ये वही पहली नज़र थी जिसे लोग प्यार कहते हैं,,,वो भले ही मुझसे बड़ा था ,, लेकिन उसका मन किसी निर्मल नदी के प्रवाह की तरह स्वच्छ ,, वो मेरी भावनाओं को क्या समझ पाया होगा,,, और वैसे भी कहते हैं की  लडकियां ऐसी बातों को ज्यादा जल्दी से भांप लेती हैं ,,,हम उस रोज़ घर तो आ गए थे ,, लेकिन मेरा मन उसी साइकिल राइड में भटकता रहा ,,,उस दिन से लेकर बाद के कई सालों तक,,,मम्मी शायद जो इन बातों से अनजान थी,, हमेशा की तरह मेरी दिल की भावनाओं को पढना उसने ज़रूरी नहीं समझा था ,, अगले दिन मुझसे कहने लगी की कालोनी में जो  मेरी उम्र के बच्चे हैं ,,मैं उनके साथ घुल-मिल जाऊं ,, तो मुझे भी इस नयी जगह में अच्छा लगने लगेगा,, लेकिन मम्मी को क्या पता था की मुझे तो ये नया शहर वैसे भी अच्छा लगने लगा था,,  नया शहर और नए शहर के लोग मुझे और नए लगने लगे थे,,,मैनें मम्मी की बात मानकर  बाहर जाना शुरू किया ,,,लेकिन वहां की लड़कियां मुझसे कुछ अच्छा व्यवहार नहीं करतीं थीं ,, तब वही मेरे पास आकर बैठता और हम बहुत साड़ी बातें करते,, उसने मुझे बताया की मैं जो घर पे पढ़ती रहती हूँ वो उसको बहुत अच्छा लगता है,, और उसी ने मुझे बताया की ये छोटा शहर है न इसलिए यहाँ के लोगों की सोच थोड़ी सी अलग है ,,और लड़कियां मुझसे जलती हैं,, मेरे कपडे पहनने के तौर तरीके भी यहाँ बहुत लोगों को पसंद नहीं आते,, उसने कहा  तुम कुछ भी करो इसमें कोई बुरे नहीं लेकिन लोगों को अगर तुम्हारे बारे में कोई ग़लतफहमी हो जाये तो इसमें बुराई ज़रूर है,,,मेरे कपड़ों के बारे में उसने जो कहा सच कहूँ तो एक लड़की होने का एहसास मुझे उसी वक़्त हुआ.. वो धीरे- धीरे मेरे हर  पहले एहसास में शामिल हो गया और उसका हिस्सा बन गया...............


दिन अब बहुत अच्छे गुजरने लगे ,, मैं जब अपनी छत पर पढने जाती वो भी अपने छत पर आ जाता ,, अपनी छत से आम,अमरुद,अनार, सब तोड़कर वो मेरे छत पर फेंकता,,, कभी अपने कबूतर उड़ाकर मेरे पास भेज देता,, तो कभी मुझे कौरव-पांडव के फूल देता ,,, अजीब सा रिश्ता था उसका और मेरा,, हम दोनों सबसे अच्छे दोस्त थे,, बिना स्वार्थ और किसी बुरी भावना के हम अपनी सारी बातें एक दुसरे को बता दिया करते,, बहुत ही साफ़ और प्यारा सा एक रिश्ता ......उसी साल मुझे मलेरिया हो गया ,,मैं बहुत घबरा गयी ,, पता नहीं मैं एक्साम्स में क्या करुँगी ,,एक्साम्स में सिर्फ दो ही महीने बचे थे ,, और क्लास की पढाई,, रोज़ दिए जाने वाले नोट्स ,,सब कुछ करना ,, मैं कैसे कर पाऊँगी,, वो रोज़ घर आता ,,मुझे कालोनी की पूरी खबर देता,, कहता की लड़कियां अभी खुश हैं की तुम बीमार हो और घर से बहार नहीं जा रही हो,,मैंने पूछा और तुम ,, उसने कहा मैं खुश नहीं हूँ , तुम्हारे इस साल बोर्ड के एक्साम्स हैं,, और अगर तुमको डॉक्टर बनना है तो तुम्हें इस साल अच्छे नंबर से पास होना ही होगा ,, नहीं तो तुम्हारा पूरा साल खराब हो जायेगा,, मैंने कहा की इतनी बिमारी मैं स्कूल जा ही नहीं सकती,, और इस शहर में कोई प्राइवेट ट्यूटर भी नहीं जो घर आकर मुझे पढ़ा दे,, उसने कहा की तुमको किसी ट्यूटर की ज़रूरत ही क्यों है,, मैं स्कूल जाकर तुम्हारे नोट्स उतार लाऊंगा,, और तुम घर पर ही तैयारी कर लेना,, उसने अपना वादा निभाया,, और मैंने उस साल बहुत अच्छे नंबर से एक्साम्स पास किये,, घर पर अब मेरे आगे की पढ़ाई की बात होने लगी थी,, मुझे किसी अच्छे जगह से कोचिंग करनी चाहिए और ध्यान लगाकर पढना चाहिए,, सबने मिलकर फैसला ले लिया ,, मुझसे किसी ने एक बार भी नहीं पूछा,, बस मैं भी अपनी भावनाओं को दबाये हुए जाने की तैयारी में लग गयी,, उसने हमेशा की तरह मेरी उस समय भी बहुत मदद की,, और जैसे समय हमेशा कुछ अच्छा होने पर धीरे -धीरे बीतता है,, जैसे चाह रहा हो की हम जी भर कर उस ख़ुशी की अनुभूति कर लें,,और कुछ बुरा होने पर बहुत जल्दी बीत जाता है,, जैसे जल्दी गुज़र जायेगा तो दर्द की वो संवेदना भी जल्दी ही गुज़र जाएगी,, बस कुछ महसूस नहीं होगा,, वैसे ही वो दिन भी आ ही गया,, मम्मी ने बहुत अच्छा सा टिफिन बनाया ,,नयी जगह के लिए चिवड़े ,,सुहाली,,नमकीन अलग अलग नाश्ता बना कर दिया,, और फिर ट्रेन का टाइम होने पर हम स्टेशन भी पहुँच गए,, लेकिन आज वो सवेरे से कहीं दिखा नहीं था मुझे,, न घर आया,, न अपने घर पर दिखा,, मेरे दिल का दर्द और बढ़ गया,, अगर उसे देख कर जाती तो शायद कम दुखी रहती ,,पर न जाने आज वो कहाँ था,, ....................................
हम घर से निकल कर स्टेशन पहुँच गए थे,, ट्रेन के आने में कुछ वक़्त था,, मम्मी-पापा दोनों हमें नयी जगह में एडजस्ट कैसे करना यही सब बता रहे थे,, किसी का ध्यान इस बात पर नहीं था की मैं भी कुछ सोच सकती हूँ ,, मेरे कोई और ख्याल हो सकते हैं,,और सबसे ज्यादा मैं कितना दुखी थी,, उस अजनबी शहर से दूर जाने पर,,और ये की अब न ही ये शहर और न ही इसके लोग मेरे लिए अजनबी थे,, किसी को मेरी भावनाओं की ज़रा भी चिंता नहीं थी,,तभी मुझे स्टेशन के गेट पर वो दिखा,,उसकी आँखें जैसे बेताबी से किसी को खोज रहीं थी,, वो मुझे उस भीड़ में नहीं देख पा रहा था,,लेकिन क्यूंकि मेरी नज़रें उसकी आस लगाये सिर्फ गेट पर ही थीं ,,मैंने उसको देख लिया था,,मैं पापा को कोई मागज़ीने खरीद लेती हूँ ये कह कर बुक स्टाल तक गयी,, उसने भी मुझे देख लिया,,वो पास आया ,,तो मैं उसको चिल्ला पड़ी ,,जिन भावनाओं को मैंने इन सालों में दबा रखा था,,वो आंसूं बन कर अब बहने लगे थे,, मैंने उसको पूछा "कहाँ थे तुम अब तक,, घर पर नहीं आये,,तुमसे बिना मिले मैं चली जाती तो तुम्हे बुरा नहीं lagta",,उसने कहा "बुरा तो लगता ,,पर मैं तुम्हे अलविदा नहीं कह सकता था,,तुम्हे अपने से दूर नहीं भेज सकता था" और उसकी आँखों में भी आंसूं आ गए,,"" पता नहीं कब से ऐसा हुआ ,,शायद उस पहले ही मुलाक़ात से ,,या उससे पहले जब तुम अपने कमरे में किताबें पढ़ रही होती,, और मैं अपनी छत से तुमको देखा करता ,,लेकिन मैं तुम्हें बहुत पसंदकरने लगा था,, पर कभी तुमसे कुछ कहने की हिमात नहीं हुई,, मुझे लगा की अगर मैंने तुमसे कुछकहा तो शायद हमारी ये दोस्ती भी खो दूंगा,,लेकिन अब जब तुम जा रही हो तो मुझसे चुप नहीं रहा गया ,, अगर आज तुम बिना कुछ सुने चली जाती तो मैं शायद फिर तुमसे कभी नज़रें नहीं मिलापाता ,, तुम ये मत समझना की मैं हमारी दोस्ती का फायदा उठा रहा हूँ ,, लेकिन ये सच है की मेरीतुम्हारे लिए यही भावना है,, और मैंने तुमसे अच्छी कोई लड़की कभी नहीं देखी,, तुम इतनीखूबसूरत हो,, इतनी होशियार हो,, मैं जानता हूँ मैं कहीं से तुम्हारे लायक नहीं हूँ ,, और तुम्हें ज़िन्दगी में बहुत ऊँचा मुकाम पाना है ,, मैं चाहता हूँ की तुम बहुत पढो,, कुछ करो,, मैं तो घर के माहौल की वजह से कुछ कर नहीं पाया ,, लेकिन तुमको कुछ कर दिखाना है,, अपने पापा के लिए,, और उन लोगों के लिए जो समझते हैं की लड़कियां ज़िन्दगी में कुछ नहीं कर सकती "मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा की मैं भी तुम्हे बहुत पसंद करती हूँ ,, पहली बार जब हम साथ गए थे तब से,, लेकिन कभी तुम्हें कुछ कहने की हिमात नहीं कर पाई,, लेकिन आज अगर तुमसे मिले बगैर और अपने दिल की बात किये बगैर चली जाती तो मैं ज़िन्दगी भर अपने आप से नज़रें नहीं मिला पाती"
फिर मेरी ट्रेन आयी और मैं अपने नए सफ़र के लिए निकल गयी,,दो साल की कोअचिंग करने के बाद मेरा एडमिशन अच्छे मेडिकल कॉलेज में हो गया,, ज़िन्दगी यूँ ही आगे बढती रही,, तब न तो कोई फ़ोन हुआ करते ,,न इन्टरनेट और न ही मोबाइल " और हम एक दुसरे को कभी ख़त भी नहीं लिख पाए,,पापा का ट्रान्सफर भी फिर किसी नयी जगह में हो गया,, हम कभी उस शहर वापस नहीं जा पाए,, न ही उस दिन के बाद उस से मिल पाए ,,, ज़िन्दगी यूँ ही गुज़रती रही,, लेकिन फुर्सत के पलों में आज भी उस अजनबी दोस्त को याद कर लेते हैं ,,,,बस अब उसके साथ यादों का अटूट नाता जोड़ लिया है हमने,,

 हमारी शादी हुई ,,बहुत अच्छी और सफल गृहस्थी रही हमारी,, वो हमेशा मेरे लिए वही बचपन का साथी रहा,, आज बेटा और बेटी अपने जीवन में व्यस्त हैं ,,सब के बाल-बच्चे हो गए हैं,, हम अपने नाती-पोतों में व्यस्त रहते हैं,, ज़िन्दगी बहुत खुशहाल रही,,और मुझे ख़ुशी है की मुझे इतना अच्छा साथ मिला,,बस इसलिए आज आपसे अपनी ये छोटी सी कहानी शेयर कर रही हूँ,,..................................
आज भी महसूस करती हूँ ,,ठंड की उस गरम दोपहर को मैं ,,

जब भी दोपहर में उस छत पर जाती,,तेरा उन परिंदों को मेरे छत पर भेजना,,
उनकी पंखों में तेरी उड़ान को ,,महसूस किया मैंने,,

वो तेरा पेड़ से तोड़, अमरुद ,,अनार,,मेरे दामन में देना,,
उनके स्वाद में तेरे लबों को ,,महसूस किया मैंने,,

वो स्कूल के रास्ते में,,तेरा आकर मुझे "कौरव-पांडव" के फूल देना,,
उनकी खुशबू में तेरी सांसों को ,,महसूस किया मैंने ,,

वो सावन के झूले,,जो तुने आम के बागीचे में लगाये थे,,
उसमें झूलते हुए तेरे साथ को,, महसूस किया मैंने,,

वो शादियाँ जो मोहल्ले हुआ करती थी,,
तब क्या कहूँ क्या क्या ,,महसूस किया मैंने,,

वो तेरा रंग लगाना,,मेरे रुखसारों पर,,
आज भी तेरे हांथों का स्पर्श,,महसूस किया मैंने,,

जब भी रोई हूँ मैं तन्हाई में,,
तेरी दो नज़रों को अपने चेहरे पर,,महसूस किय मैंने,,
  • STORY OF A NEW BORN BABY........

    STORY OF A NEW BORN BABY........

    हाय मैं हूँ श्रीनू ...19 february को शाम के 04:02 pm पर मैं इस दुनिया में आया,,मेरे birth होते ही नर्स मुझे नहला कर साफ़ करने लगी,, 9 महीने से मैं एक अजीब सी अँधेरी जगह में बंद था,,वहां बहुत अँधेरा रहता था,,इसलिए जब मैंने इतनी रौशनी देखी तो मैं डर गया,, और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा ,, तभी मुझे न अचानक एक आवाज़ आई "रोते नहीं बेटू",,मुझे ये आवाज़ बहुत जानी-पहचानी सी लगी,,जैसे मेरा कोई अपना मेरे पास हो,,और मैं चुप हो गया ,,4:40 को dr. मुझे लेकर बहार आई ,,वहां बहुत सारे लोग खड़े थे,, सभी बहुत खुश लग रहे थे,,मुझे देखते ही चिल्लाने लगे,,dr.ने मुझे किसी की गोद में दे दिया ,, किसी ने पीछे से कहा की ये तुम्हारी दादी है,, दादी मुझे बड़े ही प्यार से देख रही थी,,फिर मुझे किसी और ने गोद में लिया ,,वो मेरी नानी थीं ,,फिर मुझे मौसी-नानी ने गोद में लिया,, और फिर मेरे दादू और नानू ने,, पर मैं तो बस अपने मम्मी और पापा को देखना चाहता था,, वही तो थे जिनको मैं अँधेरे में बंद भी देखता रहता था,,उनकी आवाज़ सुनता रहता ,,............ थोड़ी देर के बाद पापा आये और उन्होंने मुझे गोद में ले लिया,,वो बहुत सारी मिठाई लेकर आये थे,,और सबको खिला रहे थे,,वो भी बहुत खुश लग रहे थे,,पर उन्होंने मुझे ज़्यादा देर अपने पास नहीं रखा,,मुझे तो बस उन्हीं के पास रहना था,, और मेरी मम्मी के,, पता नहीं मम्मी कहाँ थीं,, अब तक वो मुझे दिखाई नहीं दीं,,वहां कोई मेरे पास -पास ,,अजीब सी चीज़ लिए घूम रही थी,, पता नहीं था की उसके हाँथ में क्या था,,लेकिन सारे लोग उसको कह रहे थे की ""चीनू हमारी भी शूटिंग कर श्रीनू के साथ ""...शायद वो मेरी चीनू मासी थीं,,

    पर मुझे क्या पता की दादा क्या होता है,,दादी किसको कहते हैं,,नाना-नानी कौन होते हैं,, पर मुझे एक बात ज़रूर पता थी की,,सब मेरे अपने हैं और सब मुझे बहुत प्यार करते हैं,, क्यूंकि जब ये लोग मुझे देख रहे थे तो सब की आँखों में मेरे लिए बहुत प्यार था,,जब उन लोगों ने मुझे गोद में लिया तो मुझे लगा की अब मैं ठीक हूँ और मुझे इनके होते हुए कुछ नहीं हो सकता,,

    इतना करते हुए 15-20 min हो गए थे,, फिर वो लोग मुझे लेकर एक रूम में गए ,,और मुझे कपडे पहनाने लगे,,ये काम पहले भी तो कर सकते थे न,, मुझे नंगू-पंगु क्यूँ रखे थे,, कितनी शर्म आ रही थी मुझे,, खैर अब मैंने कपडे पहेन लिए थे और मैं बहुत ही स्मार्ट लग रहा था,,

    थोड़ी -थोड़ी देर में वही सारे लोग बार-बार कमरे में आते और मुझे प्यार कर देते,,,फिर ६ बजे मेरे ताऊजी और ताईजी आये,, और उनके साथ मेरी छोटी-छोटी 2 दीदी भी आये,,ईशा और सुहानी दीदी ,,इनको तो मैंने देखते ही पहचान लिया मैं इनसे इतनी बातें जो करता रहा हूँ,, ताई जी ने मुझे बहुत देर तक गोद में रखा और बहुत प्यार किया,, ताऊ जी को सर्दी थी न,,इसीलिए उन्होंने मुझे दूर से देखा,,वो कितने अच्छे है,,मुझे देखकर बोले की "अरे ये तो पूरा हमारे घर पे ही गया है" ,,,फिर 2 और मौसियाँ आयीं मेरी 3rd वाली मौसी नानी के साथ,, वो लोग भी मुझे देख कर बहुत खुश हो गयीं,, कितना गोरा है,, और कितनी सोफ्ट स्किन है इसकी,, अरे गोरा तो रहूँगा ही न ,,मेरी मम्मी इतनी सुंदर जो है,,फिर मुझे बिस्तर में सुला दिया गया,,और मेरी दादी ने अपनी ऊँगली से कुछ मीठा-मीठा सा मेरे मुंह में चटाया.....मुझे वो मीठी सी चीज़ बहुत अच्छी लगी ,, और मैं मज़े लेकर उसको चूसने लगा,, मेरी 3rd वाली गुड्डी मौसी नानी जल्दी से बोली -चीनू इसकी शूटिंग कर ,,देख कितना प्यारा लग रहा है,,कितना सुंदर मुंह बना रहा है,,सारे लोग मेरे पास बिस्तर पर ही बैठे थे,,और पता नहीं क्या-क्या बातें कर रहे थे ,,लेकिन वो लोग मेरे ही बारे में बातें कर रहे थे,, की मेरी आंखें किसके जैसी हैं ,,मेरी नाक किसके जैसी हैं,,

    अरे मैं तो अपनी मम्मी के बारे में बताना भूल ही गया था,,अब वो कमरे में आ चुकी थीं,, वो बहुत कमज़ोर दिख रहीं थीं,, वो वहां रखे एक दुसरे बिस्तर पर लेट गयीं,, मैं उनको देखना चाहता था,,कब से इंतज़ार कर रहा था मैं मम्मी का,,पर वो बहुत दूर थीं इसी लिए मुझे कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था,, मम्मी मैं आपकी गोद में आना चाहता हूँ,,आपको प्यार करना चाहता हूँ,,और आपको ये बताना चाहता हूँ की मैं कितना खुश हूँ,, और आपको बहुत सारा थैंक्स कहना चाहता हूँ,, की आपने मुझे कितनी अच्छी family दी है,, जो मुझे इतना प्यार करते हैं,,लेकिन मैं एक दिन आपको ज़रूर बताऊंगा की मैं कितना खुश हूँ,,और ये भी की मैं आपसे आपसे और पापा से कितना प्यार करता हूँ,,

    थोड़ी -थोड़ी देर में वही सारे लोग बार-बार कमरे में आते और मुझे प्यार कर देते,,,फिर ६ बजे मेरे ताऊजी और ताईजी आये,, और उनके साथ मेरी छोटी-छोटी 2 दीदी भी आये,,ईशा और सुहानी दीदी ,,इनको तो मैंने देखते ही पहचान लिया मैं इनसे इतनी बातें जो करता रहा हूँ,, ताई जी ने मुझे बहुत देर तक गोद में रखा और बहुत प्यार किया,, ताऊ जी को सर्दी थी न,,इसीलिए उन्होंने मुझे दूर से देखा,,वो कितने अच्छे है,,मुझे देखकर बोले की "अरे ये तो पूरा हमारे घर पे ही गया है" ,,,फिर 2 और मौसियाँ आयीं मेरी 3rd वाली मौसी नानी के साथ,, वो लोग भी मुझे देख कर बहुत खुश हो गयीं,, कितना गोरा है,, और कितनी सोफ्ट स्किन है इसकी,, अरे गोरा तो रहूँगा ही न ,,मेरी मम्मी इतनी सुंदर जो है,,फिर मुझे बिस्तर में सुला दिया गया,,और मेरी दादी ने अपनी ऊँगली से कुछ मीठा-मीठा सा मेरे मुंह में चटाया.....मुझे वो मीठी सी चीज़ बहुत अच्छी लगी ,, और मैं मज़े लेकर उसको चूसने लगा,, मेरी 3rd वाली गुड्डी मौसी नानी जल्दी से बोली -चीनू इसकी शूटिंग कर ,,देख कितना प्यारा लग रहा है,,कितना सुंदर मुंह बना रहा है,,सारे लोग मेरे पास बिस्तर पर ही बैठे थे,,और पता नहीं क्या-क्या बातें कर रहे थे ,,लेकिन वो लोग मेरे ही बारे में बातें कर रहे थे,, की मेरी आंखें किसके जैसी हैं ,,मेरी नाक किसके जैसी हैं,,

    अरे मैं तो अपनी मम्मी के बारे में बताना भूल ही गया था,,अब वो कमरे में आ चुकी थीं,, वो बहुत कमज़ोर दिख रहीं थीं,, वो वहां रखे एक दुसरे बिस्तर पर लेट गयीं,, मैं उनको देखना चाहता था,,कब से इंतज़ार कर रहा था मैं मम्मी का,,पर वो बहुत दूर थीं इसी लिए मुझे कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था,, मम्मी मैं आपकी गोद में आना चाहता हूँ,,आपको प्यार करना चाहता हूँ,,और आपको ये बताना चाहता हूँ की मैं कितना खुश हूँ,, और आपको बहुत सारा थैंक्स कहना चाहता हूँ,, की आपने मुझे कितनी अच्छी family दी है,, जो मुझे इतना प्यार करते हैं,,लेकिन मैं एक दिन आपको ज़रूर बताऊंगा की मैं कितना खुश हूँ,,और ये भी की मैं आपसे आपसे और पापा से कितना प्यार करता हूँ,,.......................................

Sunday 20 May 2012










ae kash kabhi aisa ho ...
tanha ho hum saare jahan se...

aur kuch baatein ho darmiyaan ...
wo baatein jo kahi na ho zaban se...








mujhse uska bichharna hua kuch aise......

Jism to reh gaya ho,rooh nikal gayi ho jaise.....

*Asmita*









kaisa jaadu tha uske chehre me . .
Dil le gayi mera lootkar saadgi us ki . . .

Wo mazaq me lete hai meri baatein saari . . .
Kahi pagal na kar de mujhko dillagi uski . . .

Dariya me doob kar bhi pyasa hai dil . . .
Sahi nahi jati mujhse tishnagi uski . . .

Dil jeet liya usne apni baaton se . .
Kya andaze bayaan, baton ki adayegi uski . . .

Umra bhi ab kam lagne lagi mujhko . . .
Gar ta-umra karni hai bandagi uski . . . .

Zindagi thehri hai meri khamosh samander si . . .
Uski zindagi udte panchi si . . Aur aawaargi uski . . . . .








Wo pal khusgawar hota hai teri meri guftagu ka . . . .
khwaabo me bhi tujhse baatien kuch haseen kar aaye . . . . .

Aajao ab to tumhare intezaar me ghadiyan guzar gayi . . . .
yu tum ko sochkar dil ko gamgeen kar aaye . . , . .

Mere dil me kaun hai ,teri yadon ke siva . .
Hum dil ke khali ghar ki talash-takseen kar aaye . . . .

Raat ke andhere me jurm ye sangeen kar aaye . . . .
Apni syaah si raatein, teri yadon se rangeen kar aaye . . . . .

ek mohabbat ke sahare jiya nahi jata,,
gum ye aisa hai jo akele piya nahi jata,,

bahut door tak jate hai,,akele mein ehsaas mere,,
bas koi ek tassavur ,,tere dil tak nahi jata..

jab kabhi main tanhai mein,,yaad na karu tujhko,,
kya karu mera aisa ,,koi bhi lamhaat nahi jata,,

dard jo uthta hai mere,,dil me merie khayalo mein,,
tere zehen tak magar,,mera koi jazbaat nahi jata,,

har ghadi bas teri,,yaado mein jiya karte hai,,
mere har fasane me tu na ho,,aise koi waqyaat nahi jata,,

kuche mein gul na ho,,to wo kucha hi kaisa,,
mere wajood se magar,,tera khayalaat nahi jata,,

tera milna ek ,,sachchai thi,,ehsaas tha ,,
ya phir ek khawab hi tha maazi mere,,
mere kashti ko kahi,,koi kinara nahi ,,
koi sahil-e-raat nahi jaata,,

bas bhatakti hu un hi ,,purani yaado mein,,
mere labo tak aakar,,is fasaane ka,,
koi bayan-aat nahi jata,,

एक मोहब्बत के सहारे जिया नहीं जाता ,,
गम ये ऐसा है जो अकेले पिया नहीं जाता ,,

बहुत दूर तक जाते है ,,अकेले में एहसास मेरे ,,
बस कोई एक तस्सवुर ,,,तेरे दिल तक नहीं जाता ..

जब कभी मैं तन्हाई में ,,याद न करू तुझको ,,
क्या करूँ मेरा ऐसा ,,कोई भी लम्हात नहीं जाता ,,

दर्द जो उठता है मेरे ,,दिल में मेरे ख्यालों में ,,
तेरे ज़हन तक मगर ,,मेरा कोई जज़्बात नहीं जाता ,,

हर घडी बस तेरी ,,यादों में जिया करते है ,,
मेरे हर फ़साने में तू न हो ,,ऐसे कोई वाक्यात नहीं जाता ,,

कूचे में गुल न हो ,,तो वो कूचा ही कैसा ,,
मेरे वजूद से मगर ,,तेरा खयालात नहीं जाता ,,

तेरा मिलना एक ,,सच्चाई थी ,,एहसास था ,,
या फिर एक खवाब ही था माजी मेरे ,,
मेरे कश्ती को कहीं ,,कोई किनारा नहीं ,,
कोई साहिल -ए -रात नहीं जाता ,,

बस भटकती हूँ उन ही ,,पुरानी यादों में ,,
मेरे लबों तक आकर ,,इस फ़साने का ,,
कोई बयाँ नात नहीं जाता ,,
—-----------







Aisi befikri kabhi nahi mili ...
Zindagi tune zimmedaar kar diya mujhe ...
Kaash jee paate hum zindagi ka ek Qatra ...
kyunki ZINDAGI NA MILEGI DOBARA.....

jo diya tune wo karte rahe shumaar hum ...
Na socha , na samjha bas apnate rahe tujhe ...
Ab ek pal mil jata jeene ko....
Ab hota nahi gawara....

Ae ZINDAGI KYA MUJHSE MILEGI DOBARA.....








romance is a formula ....someting that couples create themselves ...and every couples have their unique one .......


COUPLES . . . . . . .

If Love is the music . . . -Then let it create the tune of our heart . . . . .

If love is the dance . . . Then lets tap to its beat . . . .

If love is the rain . . . . Then let it shower us . . .

If love is a tree . . . . . Then let the fruit and flowers be grown . . . .

If love is a deep ocean . . . .
Then lets dive into its deepness . . . .

If love is clouds flying above . . .
Then lets fly high careless in the infinity . . . .

If love is a tough pythagorus theorem . . .
Then lets solve it systematically . . . . .

Coz . . . .

LOVE IS THE FORMULA THAT EVERY COUPLES HAS TO CREATE . . . . .




wo khamosh manzar tha ,,us sheher ka har sheh...
us sheher me koi shaks nahi tha jisko ehsaas ho..
kehne ko bahut tarraki kar li hai humne ...
lekin hum kisi ko usko haq kyu nahi dete...

har simt me log ,,ladaiyan,, dushwariyan ...
itne matbhed hai,,, logon me taqrar hai..
bechargi ka yeh aalam ..bechare log ....
logo ko tum ab utha kyu nahi dete ...

koi sahe to kitna ,,kahi to had ho jati...
sehenshakti ke naam par atyachaar ....
sarkar ka bhrashtachaar ....
logo ko unki had kyu nahi dete ...

mana ki duniya ab simatne ko hai...
kuchh fasle hai ,,,aur kuchh duriyan simatne ko hai,,
jaha bhi dekho log apni hi karte hai,,,,
kahi to koi gucha khila kyu nahi dete.......











बड़ी खूबसूरत ख़ता कर गए हैं ..........
मेरे प्यार की इब्तदा कर गए हैं .....

फिज़ाओं में रक्सां हैं उल्फ़त के नग्में.....
मेरी ज़िन्दगी खुशनुमा कर गए हैं .......

जिधर देखती हूँ उधर तू ही तू है ..........
मुहब्बत की अब इन्तेहाँ कर गए हैं .......

मेरी बेकरारी की हद को न पूछो .........
वो चश्मे -जवां जबसे वा कर गए हैं ...........

मुहब्बत के आसन पर उसको बिठाया .....
सनम थे ,, हम उनको खुदा कर गए हैं ....

अलालत पर मेरी वो रसमन हैं आये ......
रसम अदाएगी उनकी ,,मेरी दवा कर गए हैं ................

भरे कान ऐसे रक़ीबों ने जाकर .........
बिना कुछ बताये खफा कर गए हैं ......


इब्तदा - शुरुवात ,,,
रक्सां - नाच ,,,
उलफत -प्यार ,,,
नग्में -गीत ,,,
इन्तेहाँ - हद ,सीमा ,,,,,
चश्मे-जवां -- जवानी की आँख खुलना ,,,,,
अलालत-बिमारी ,,,
रसमन - व्यवहार,, formality ,,
रसम - FORMALITY ,,व्यवहार,,,,
रक़ीबों - प्रेमिका के प्रेमी ,,,,








माँ ,

जो हौसला बढाती है ,

अपने दक्षिण अफ्रीकी,

काले बच्चों का,

माँ,

जो पीठ ठोंकती है,

अपने बहादुर और ज़ियाले,

फिलिस्तीनी और वियेतनामी बच्चों का,

जिसके आँचल तले,

सुरक्षित समझती है,

स्वयं को,,

दुनिया की दो तिहाई आबादी,



Ajeeb tha us haseen ka izhaar-e-mohabbat ........

Lab khamosh the,, nazrein baya'n karti thi haqeeqat saari......









"MAZHABO'N AUR QUAM- ZAATO'N ME BAANT LETE HAI'N,
JAGAHO'N KO SARHADO'N ME BAANT LETE HAI'N,
AASHIYA'N BANAATE HAI'N YE APNE GUZAR-BASAR KE LIYE,
PHIR LADKAR INNKO MAKANO'N ME BAANT LETE HAI'N,
YE LOG HAI'N JO PAKEEZGI KI BAAT KARTE HAI'N,
INSAN HOKAR INSAANO'N KO BAANT LETE HAI'N,"










mere mijaz ko usne meri kaifiyat samjha . .
Meri to fitrat me hi badal jana tha . . . .

wo parwana hai mera kaynaat kehti hai..........
mujhe jalkar shama sa pighal jana tha,........

chahat ki aag mein kaun bacha hai ab tak........
ishq-e-aag me mujhe khud-b khud jal jana tha......

Uski shaksiyat hai suraj si ujali . . .
Mujhe to raat ke chand sa tanha hi dhal jana tha . . . .

Ashiq to kai hue afsane bhi kai bane . . .
Sabki kismat mein goya ki bichad jana tha . . . . .


 


 
I WAS WALKING LONG IN SEARCH OF A TRUE MATCH ;
BUT AFTER A DSTANCE I STOPPED AND GAVE A WATCH ;


WATCH THE WORLD WITH ALL DIRTY CREATURES '
WHO ATTACH TO SOMEBODY AND SURVIVE LIKE CREEPERS;

ALL OVER I SEE IS FALSE AND WRONG ;
NEVER UNDERSTAND WHAT IS GOING ON ;

AND FIGHT FOR "TRUTH" AND "TAUTOLOGY"
WITH NO ONE IS SLOWING DOWN ;

EVERYONE IS RUNNING BEHIND ;
A FALSE LUXURY PRETENCE ;
FOR THERE OWN SAKE ;
THEY FIGHT ..STRIFE AND OFFENCE ;


I DON'T KNOW WHAT TO DO ;
AND WHERE TO GO ;
IS IT THE TIME ;
TO END UP MY SEARCH AND BOW;








USKI NAZAREIN KARTI HI THI IZHAAR-E-MOHABAAT .............
..............KAMBAKHT ZULFO'N NE ROK DI GUFTAGU SAARI......










वो राहे गुज़र पे मिलता है मुझको ,
कभी मिलता भी नहीं ,

मेरे अकेलेपन पर हँसता है कभी ,
कभी हँसता भी नहीं ,

सूरज की धूप तो खिली है आंगन में ,
अँधेरा क्यों है मेरे मन में ,

वो बसता है इस दिल की बस्ती में ,
कभी बसता भी नहीं ,

मैं सारा हाल -ऐ -दिल कह दूँ उसको ,
वो अपना हाल कभी बताता है ,
कभी बताता भी नहीं ,






few lines for night.............

abhi to hosh sambhala ...........

abhi jawani aayi.........

abhi chand alfaz hi likhe.....

ae raat tujhpar.....

abhi kaha lafzo'n mein wo rawani aayi............

*avani*


Bahut Socha ,,,,, bahut samjha ,,,,,
Faqat itna hi hai jana ,,,,,,,,,,,,,,,


mohabbat me naakaami se .....
achha hai mar jana ..................

Avani Asmita Sharma

chupake saari roshni woh andhera laayi,

din to beeta hamara kisi tarah,

par ye raat apne saath phirse unki yaad laayi...

Tez dhadkonon ko sunkar bhi tumhe payar ki khabar nahi hoti,

kya mehsus karoge tum dil ka dard,

dil ke tutne ki to awaaz bhi nahi hoti.....

Ulfat mein yeh haal hota hai,

aankhen hasti hai dil rota hai,

maante hai jisse hum manzil apni,

humsafar uska koi aur hota hai....

Koi cheez bewafai se badhkar kya hogi,

gum ye halaat judai se badhkar kya hogi,
Phir Laut Ke Na Aaya Juda Ho Gaya Koi,

Mere Lab'on Se Nikli Dua Ho Gaya Koi.

"is janib se hatkar hava ho gaya koi . . . . . .

Mujh bezar beemar ki dava ho gaya koi . . . . . . "

fir ishq ke fasane me bewafa ho gaya koi . . . . .

Mehboob tha ab mera khuda ho gaya koi . . . . . . .
priytam tum hi aa jana . . . .

jo ankhe thahari raaho me . . , .
Ab to tum aa jayoge . .
Tum sahil se raaho me aakar . . .
Us raah ko sahil kar dena . . . .

Jab preet badhegi apni to . . . . .
Fir byah karenge hum dono . . .
Tum apne ghar ke aangan ko , . . .
Fir meri manzil kar dena . . . . .

Dekhu jo apne dil me . . . .
Tumko hi bas pau waha . . .
Tum mujhme shamil ho jana . .
Mujhe khud me shamil kar dena . . .

Wednesday 16 May 2012

वो सुबह कुछ ही दूरी पर है..........
जब अधमुंदी नजरों से  ...

दुनिया का हर बच्चा ...
ख्वाब सजाएगा अपनी पलकों से...

जब फूल गुलाब ....के नहीं ...
किसी बच्चे की मुस्कुराते लबों  से .....

और दिलों  में नफरत नहीं ....
प्यार लिए होंगे अपनों  से ......

जब दुनिया में न होते हो युद्ध .....
और  लड़ाईयाँ .........
हर कोई मोहब्बत्त करे ....
अपनों  से ....परायों से ...

मैं इंतज़ार करुँगी ....
बेसब्री से ....

वो सुबह कहीं  तो होगी   ,....
जो भर दे हमारे दामन गुलाबों से ...

Thursday 10 May 2012

सावन ,,,

कोई बादल उड़ता हुआ सा जँगल में ,,
और गाँव में  काली घटा है छाई सी ,,

गुचे -गुचे हैं प्रकृति के रंग में डूबे ,,
पेड -पेड़ में है असली रंगत आई सी,,

यौवन सजा है नाज़ -नख़रे से दोशीज़ा का,,
अँगड़ाई में मासूमियत,,चाल है इठलाई सी,,

कोपल ,,नाज़ुक  पौधे लचकदार हुए ,,
धुप से तपे खेत भी हें संवलाई सी ,,, 

छोटे- छोटे बीज खिलने को फ़ूटे ,,
सवेरे अँधेरे की बौछरों की चौंकाई  सी,,

सारे जहां में समाया है बारिश का आलम ,,
कोई अंगड़ाई ले जैसे ,,शरमाई सी,,

बह रही नदियां  सावन में यौवन की तरह ,,
कोयल भी गाती है ,,मौसम की तड़पाई सी,,

बादलों के पर्दों से झांकती है  धूप ,,
मुँह अँधेरे में उठे बच्चे की आँखें मिच-मिचाई  सी,,

मुझे घर में रखना साजन भीगो ना देना ,,
भीगे बदन में लगती है सकुचाई सी,,