Saturday 15 December 2012

""IZZAT HAMARI BACH GAYI IS BAAR SAAF SAAF ""

 
apne ustaad ki duaaoN ke tufail...ahle bazm ki baseeratoN ke hawale..... pesh hai..

""IZZAT HAMARI BACH GAYI IS BAAR SAAF SAAF ""

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sab jante haiN , wo haiN gunehgaar saaf saaf...
sabko dikha rahe haiN jo kirdaar saaf saaf..

maiN ne kiya tha pyar ka izhaar saaf saaf...
lekin unhoNne kar diya inkaar saaf saaf...

((Mazrat ke saath))
saalim shuja-A or janabe wahab bhi
kar deNge shayree se ab inkaar saaf saaf .... :)

is baar aa gai huN tumhare dayar meN ...
abba bhatak n jauN maiN is baar saaf saaf ..

layega ab kahaN se wo samaN jahez ka ....
kaise bache ghareeb ki dastaar saaf saaf ...

is raste se guzra he ashkoN ka qafila...
ye keh rahe haiN aapke rukhsaar saaf saaf ..

koi shagal mile mujhe, masroofiyat rahe...
fursat ne kar diya mujhe bezaar saaf saaf ....

dil meN rakhe ho bair , zabaaN par khuloos ...
zahir hui mayaan se talwaar saaf saaf...

sharm o haya ka aaj kisi ko nahiN lihaaz....
beshak tabahiyoN ke heN asaar saaf saaf ...

meN badh rahi hooN raah pe manzil ki chaah meN
logoN ne dekh li miri raftaar saaf saaf ...

khanjar unhi ke haath meN hoga ye dekhna
jo lag rahe heN mere wafadaar saaf saaf ..

"abba" tumhare hukm pe ham ne kahi ghazal ...
IZZAT HAMARI BACH GAYI IS BAAR SAAF SAAF ...

aandhi chali he sehne ghazal meN koi "mehak" ....
ik ik pahad ho gaya mismaar saaf saaf .........
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सब जानते हैं , वो हैं गुनहगार साफ़ साफ़ ...
सबको दिखा रहे हैं जो किरदार साफ़ साफ़ ..

मैं ने किया था प्यार का इज़हार साफ़ साफ़ ...
लेकिन उन्होंने कर दिया इनकार साफ़ साफ़ ...

((मज़रत के साथ ))
सालिम शुजा - ए और जनाबे वहाब भी ..
कर देंगे शायरी से अब इनकार साफ़ साफ़ ....

इस बार आ गई हूँ तुम्हारे दयार में ...
अब्बा भटक न जाऊं मैं इस बार साफ़ साफ़ ..

लायेगा अब कहाँ से वो सामान जहेज़ का ....
कैसे बचे ग़रीब की दस्तार साफ़ साफ़ ...

इस रस्ते से गुज़रा है अश्कों का काफिला ...
ये कह रहे हैं आपके रुखसार साफ़ साफ़ ..

कोई शगल मिले मुझे , मसरूफियत रहे ...
फुर्सत ने कर दिया मुझे बेज़ार साफ़ साफ़ ....

दिल में रखे हो बैर , ज़बान पर ख़ुलूस ...
ज़ाहिर हुई मयान से तलवार साफ़ साफ़ ...

शर्म ओ हया का आज किसी को नहीं लिहाज़ . ...
बेशक तबाहियों के हैं आसार साफ़ साफ़ ...

मैं बढ़ रही हूँ राह पे मंजिल की चाह में
लोगों ने देख ली मिरी रफ़्तार साफ़ साफ़ ...

खंजर उन्हीं के हाथ में होगा ये देखना
जो लग रहे हें मेरे वफ़ादार साफ़ साफ़ ..

"अब्बा " तुम्हारे हुक्म पे हम ने कही ग़ज़ल ...
इज्ज़त हमारी बच गयी इस बार साफ़ साफ़ ...

आंधी चली है सहने ग़ज़ल में कोई "महक " ....
इक इक पहाड़ हो गया मिस्मार साफ़ साफ़ ..

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Avani Asmita Sharma --MAHEK

gam agar shamile hayat nahiN..



Apne Ustaad ki DuaoN ki tufaill.... ahle-bazm ki baseeratoN ke hawale...

IK GAZAL ... IK KOSHISH ...

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hath meN tere mera hath nahiN
jab nahiN too, to kaaynaat nahiN...

ab bhi too too hai or meN meN hoon
phir bhi pehla sa iltifaat nahiN...

khwab mere bhi ho gaye murda
teri aaNkhoN meN bhi hayat nahiN...

sochti hooN kabhi kabhi yuN bhi
kyuN wo pehle se din-o-raat nahiN...

dostoN ki muhabbatoN ke sabab...
uljhanon se mujhe nijaat nahiN...

manti hoon tujhi ko ab bhi khuda..
tujh se badhkar to meri zaat nahin...

hai ajab uljhanoN men har rishta
baat to ye hai koi baat nahiN...

pyar to khud hi ek mazhab hai...
pyar ki koi zaat -paat nahiN....

zaat to bas khuda ki hai pagal ...
aadmi ki to koi zaat nahiN....

zindagi ki har ik khushi be kaif
gum agar shamile hayat nahiN...

ab "mahek" ye samajh meN aaya hai...
maut ke samne hayat nahiN...

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Avani Asmita Sharma -mahek

Tuesday 11 December 2012





वज़्न

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उर्दू शायरी में सबसे महत्त्वपूर्ण तत्व होता है अक्षर  का वज़्न ... हर शब्द का एक निश्चित वज़्न होता है.... जिसे ग़ज़ल के हर मिसरे (( लाइन )) में  सही शब्द रखना होता है....


वज़्न की गणना हम उसके उच्चारण के द्वारा करते हैं .... और उच्चारण के आधार पे इन्हें 2  स्तम्भ में बाँट लेते हैं ....

१..लघु शब्द ...

२..  गुरु शब्द ....

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१. लघु शब्द

लघु शब्द वो होते हैं जिन्हें  उच्चारण में हम सिर्फ एक बार में कह लें ....

जैसे -- क .. च ... म .... प ... र... ल... य.... अ... भ.... इत्यादि...

और सभी छोटी इ और छोटे उ की मात्र वाले शब्द ...

जैसे-- दि... दु .. मि ... कि ....

ग़ज़ल के मात्रिक चाँद में इन शब्दों को 1 गिना जाता है....




२.. गुरु शब्द

गुरु शब्द वो शब्द होते हैं जिनके उच्चारण में हम बड़ी मात्रायें लगाते  हैं ...

जैसे - ई .... क़ी ... फी .... जी.... कू .. रू ... तू.... गो ... को... जो....इत्यादि...

Thursday 6 December 2012

एक लघुकथा


मुफ्त

घर में कदम रखते ही उसकी नज़र अस्त-व्यस्त पड़े हुए कमरे पे पड़ी .... सामन इधर -उधर ऐसे बिखरे थे जैसे कोई भूचाल आया हो... लेकिन रोज़ का यही मंज़र उसे ये एहसास था की कोई भूचाल नहीं ये तो उसके बच्चों की शरारत है ... और रोज़ होती

है   ... दिन भर स्कूल में सर-खपाई करो ... और घर आओ तो ये सब ... .टूटे हुए सामान देखकर  आज उसका गुस्सा चरम पे था... दोनों बच्चों के गालों पे ज़ोर की चपत लगाईं ... ""मुफ्त में नहीं आते सामान .. इसके पैसे लगते हैं ...."""

भाव -- ""बच्चे शायद मुफ्त आते हैं''
 
 
 
2..
बारिश

बारिश का मौसम उसे बहुत पसंद था... सच तो यही है की साल के सभी महीनो में बारिश से उसे खासा लगाव था.... बुढ़ापे में तो बारिश उसे और भी पसंद आने लगी... जन्म का साल तो उसे मालूम नहीं था... और याद रखता भी कौन... लेकिन उ
से अपनी उम्र कुछ 60 के आस पास लगती थी... अब हाथ पैर का दर्द और साँस का फूलना भी इसी तरफ इशारा करते की उसकी उम्र हो गयी है....


लेकिन रोज़ी-रोटी के लिए काम तो करना ही होता है न... खाली पेट काम कैसे चले ... फिर घरवाली ... उसकी भी तो ज़िम्मेदारी है ...बाल-बच्चे भी सब कमाने निकले तो वापस न लौटे ...अब तो यही 2 प्राणी रह गए...

वैसे वो स्कूल के बच्चों को लाने -छोड़ने का काम करता ... इस उम्र में ज्यादा वज़न उठाना भी तो मुश्किल होता ,....इसीलिए रिक्शा लेकर सिर्फ स्कूली बच्चे लाने -ले जाने का काम कर लेता .... गुज़र -बसर के लायक पैसे मिल जाते.....

लेकिन बारिश का अपना मज़ा था... सवारी से जितना भाव कहो ... वो मना नहीं करती... और दिन में 2 -3 सवारी से ही उसे अच्छी आमदनी हो जाती....
सो वो स्कूल का काम निपटा ... निकल पड़ता सवारी खोजने .... सोचा इस बार 2 महीने में जो भी कमी करेगा ...उसे अपने आखिरी समय के लिए रखेगा ... अब उसकी और पत्नी की सेहत ठीक नहीं रहती....

पूरे बारिश उसने बहुत मेहनत की....पैसे भी अच्छे बनाये.... लेकिन बारिश में भीग भीग कर उसे बुख़ार रहने लगा ... फिर भी वो काम करता रहा...

जब ज्यादा तबियत ख़राब हुई तो घरवाली बड़े अस्पताल ले गयी... डॉ . ने कोई बड़ी बीमारी बताई ... और कहा इलाज़ में बहुत खर्च आएगा ....

शायद निमोनिया ....
 




3..

माँ

""जो करना है आज ही कर लेते हैं ... किसी को शक भी नहीं होगा ..""
घर से निकलते हुए पत्नी के कहे हुए ये शब्द उसके ज़ेहन में बार बार आते रहे... लेकिन पत्नी के लिए कहना जितना आसन था... खुद उसके लिए ये करना उतना ही मुश्किल...

बड़ा ही सुन्दर बचपन था उसका... माँ .. पिताजी ... और दो भाई... हँसता खेलता परिवार ... माँ -पिताजी ने उनको अच्छा बचपन और अच्छा भविष्य देने में कोई कसार नहीं छोड़ी थी... और उसी के 
फल स्वरूप आज वो दोनों भाई अपने अपने क्षेत्र में एक सफल जीवन व्यतीत कर रहे थे...

भाई पढ़-लिख कर आज अमरीका में नौकरी कर रहा था... और वो खुद भारत के एक महानगर में अच्छी खासी तनख्वाह वाली नौकरी में था... पिता की मृत्यु को 10 साल गुज़र गए थे .. अब माँ का क्या ....

माँ ने विदेश जाने से साफ़ मन कर दिया .. भला बुढ़ापे में कहाँ वो नए देश नयी संस्कृति से सामंजस्य करती ... सो माँ की जवाबदारी उसपर आ गयी .... उसे कोई शिकायत नहीं थी... लेकिन पत्नी ... उसे तो ज़िम्मेदारी का पहाड़ लगता ... हर वक़्त कोसती ... और हिसाब -किताब करती ... हमने कितनी ज़िम्मेदारी निभाई ...और बड़े भाई ने कितनी ज़िम्मेदारी ....

लेकिन जब से माँ बीमार हुई ... तब से उसका ये प्रलाप और बढ़ गया ... "" जब बेटे दो हैं तो क्यूँ अकेले हम ये ज़िम्मेदारी उठायें "" तुम्हारे भाई को भी तो माँ की चिंता होनी चाहिए ...""

मैं भैया की मजबूरी समझता भी था ... लेकिन स्वाभाविक है की पत्नी का विरोध नहीं कर पाता था.... और ऐसे ही दिन गुज़र रहे थे... इधर माँ की सेहत पिछले महीने से बहुत गिर गयी... और हॉस्पिटल .. दवा.. सेवा ... सभी बढ़ गए ...

अब पत्नी के दीमाग में खुराफात आने लगी... खर्च भी बचेगा ... और सेवा का टंटा भी टलेगा ... चुप चाप एकाध दवा माँ की इधर -उधर कर दो... वैसे ही बीमार हैं ... किसको क्या पता चलेगा ..... लोग सोचेंगे बीमारी में गुज़र गयी...

करना तो यही चाहिए था ... लेकिन मैं नादान पता नहीं कैसे पत्नी की बात में आ गया...सोचा की चलो इस बहाने रोज़ की ये खिट -पिट तो ख़त्म हो ...

इक रात हिम्मत कर के माँ के कमरे में गया ... कमरे में अँधेरा था... माँ शायद गहरी नींद में थी... बिना आह्ट के मैं माँ के बिस्तर की तरफ बढ़ रहा था... तभी माँ ने कहा -"" बबलू बहुत बेचैनी हुई... उलटी करने का जी किया ... कोई था नहीं .. इसीलिए यहीं नीचे कर ली...तुम लाइट जला लो .. कहीं पैर पड़ गया और फिसल गए तो चोट लग जाएगी..."""

और माँ के शब्द सुन कर वो सन्न रह गया ....



 

Monday 26 November 2012

zakhM gayaB haiN bazaahir mere












BA-waqar Shayar .... azeem Fan-o-fikr ke maalik Janab Saalim Shuja Ansari sahab... aur apne ustaad ke sarparasti meN ek koshish...

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Jo khayalaat the aakhir mere.....
ho gaye sher se zaahir mere...

shayari kaise gazal kaise ho...
sher hone ko haiN qasir mere .....

aaj jazbaat bhi berang haiN kyuN ....
bhar koi rang musawwir mere ...

kam tajurbaa hai mujhe jeene me ...
kaise jazbe hoN muassir mere ....

roz aate ho mire khwaboN meN...
kaun lagte ho tum aakhir mere .....

is tarah baaNt liya he rab ko...
masjideN teri haiN mandir mere...

ab mujhe arsh pe ud lene do..
par katarne lage tum phir mere....

dard ki de to chuke ho saughaat....
aaj kya laye ho khaatir mere .....

zindagi aaj bahut yaad aayi ..
maut dar par hui haazir mere ..

raaz ko raaz bana kar rakhte .....
aap humraaz the aakhir mere ....

aankh meN noor abhi baqi he..
chhot jaane de manazir mere ...

rooh par ab bhi nishaN baqi he....
""zakhm gayab haiN bazaahir mere ""

raam rehta he mire seene meN ...
aye "MAHEK" dil me he mandir mere ....

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Meanings....

akhir = atleast ...
qasir= incomplete.. adhoore
musawwir=painter ,, chitrakaar
mua'ssir - effective.. asardaar
zahir -obvious,,  saaf -
manazir--landscape,, visual aid
khatir- sake.. khayal.. lehaaz...

Sunday 9 September 2012




fitraton ko sanwar lete kaash ...
dard apne ubhar lete kaash....

aastino me saanp pale hain,
unko ek roz maar lete kash

ya khuda kuch qarar to milta
hum tujhe gar pukaar lete kaash ....

waqt ne thaam kar rakhi hai jo...
saans kuch hum udhar lete kaash...

aa nigahein bana ke tujhko yu'n
zindagi ki nigaar lete kaash...........

may zara sa pila ,,ke saaqi hum
zindagi se khumar lete kash ....

Sar uthatiN na hasrateN dil meiN
inko dil hi meiN maar lete kaash..

aaina ye tujhe dikha kar hum
tere kirdaar nikhar lete kaash

ai "Mahek" apne aas ka panchi. ..
is zamee pe utar lete kash...

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फितरतों को सँवार लेते काश ...
दर्द अपने उभार लेते काश ....

आस्तीनों में साँप पाले हैं ,
उनको एक रोज़ मार लेते काश ,,,,

या खुदा कुछ करार तो मिलता ...
हम तुझे गर पुकार लेते काश ....

वक़्त ने थाम के रखी हैं जो ...
सांस कुछ हम उधार लेते काश ...

आ निगाहें बना के तुझ को यूँ ...
ज़िन्दगी की निग़ार लेते काश ...........

मय ज़रा सा पिला ,,के साक़ी हम ..
ज़िन्दगी से ख़ुमार लेते काश ....

सर उठातीं न हसरतें दिल में
इनको दिल ही में मार लेते काश ..

आइना ये तुझे दिखा कर हम ..
तेरे किरदार निखार लेते काश ...

ऐ "महक " अपने आस का पंछी. ..
इस ज़मीं पे उतार लेते काश ...

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Avani Asmita Sharma ""MAHEK""

Monday 27 August 2012









BHEENI KHUSHBOO SI FAZAAO'N MEIN BIKHAR JAATI HAI YU'N...
AU HAWAA BHI SHAAKH SE AISE GUZAR JAATI HAI YU'N.....


MUSKURATI HAI GHATA MEIN REH KE JO YE BIJLIYA'N....
AANKH MERI KHUD-B-KHUD UNPE THAHAR JATI HAI YU'N...


BAAG KE SAAYE MEIN MUJHSE BAAT KARTE HAIN WO JAB...
BAAT AISI HAI KI MERI JAA'N SIHAR JAATI HAI YU'N...

RAAT KE KHAMOSH PAL MEIN GUNGUNATI HUN TUJHE ...
HAAN TABIYAT AISI HI MERI SUDHAR JAATI HAI YUN....


SAANS UNKI SAANS MERI YUN MUSALSAL PAAS HAIN....
SAANS BHI AB FAANS BAN DIL MEIN UTAR JAATI HAI YUN...

KYU BHALA US NAAM PAR DIL KA DHADAK JANA MERA ....
RAAH USKI HI DAGAR MERI MAGAR JATI HAI YUN....

HAAN ""MAHEK TERI MAHEK SE IS CHAMAN MEIN HAI MAHEK....
BARISHON MEIN BHEEGTI KHILTI SAHAR JAATI HAI YUN ....

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भीनी खुशबू सी फ़ज़ाओं में बिखर जाती है यूँ ...
औ हवा भी शाख से ऐसे गुज़र जाती है यूँ .....


मुस्कुराती है घटा में रह के जो ये बिजलियाँ ....
आँख मेरी खुद -ब-खुद उनपे ठहर जाती है यूँ ...

बाग़ के साए में मुझसे बात करते हैं वो जब ...
बात ऐसी है की मेरी जाँ सिहर जाती है यूँ ...

रात के खामोश पल में गुनगुनाती हूँ तुझे ...
फिर तबियत ऐसी ही मेरी सुधर जाती है यूँ ....


सांस उनकी सांस मेरी यूँ मुसलसल पास हैं ....
सांस भी अब फांस बन दिल में उतर जाती है यूँ ...

क्यूँ भला उस नाम पर दिल का धड़क जाना मेरा ....
राह उसकी ही डगर मेरी मगर जाती है यूँ ....

हाँ ""महक "" तेरी महक से इस चमन में है महक ....
बारिशों में भीगती खिलती सहर जाती है यूँ ....

Avani Asmita Sharma "" Mahek""

Saturday 25 August 2012

tarhi misre par apni ek koshish...ek gazal ..... sab doston ko pesh karti hu

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mujhko pehlu se yun laga dije...
pyar ka ab mujhe sila dije....

zakhm khakar n bhool jayein hum...
dard fir aaj kuch naya dije.....

jo labon ko bhi zindagi bakhshen,
saaz aisa koi sikha dije.

di lagana wo aap se mera,
yaad fir se mujhe dila dije

preet ka raag ga raha saawan ...
aaj fir geet wo suna dije...

bewafa hun ki ba-wafa hun main...
faisla fir naya suna dije....

aap se umr bhar ka rishta hai,
zindagi ki mujhe dua dije.

aaj alfaz kyun khamosh se hain
lafz honton pe ik saja dije

maan kar mujh ghareeb ko tanha,
aaiye sath kuchh mera dije

lut gayi hai meri saher kaise,
raunaq e bazm phir bana dije

pyar to aap hi se hai humko..
laakh chahe mujhe sazaa dije

loot le jo khushi ""mahak"" dil ki..
kyun use koi wasta dije ....

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मुझको पहलू से यूँ लगा दीजे ...
प्यार का अब मुझे सिला दीजे ....

ज़ख्म खाकर न भूल जायें हम ...
दर्द फिर आज कुछ नया दीजे .....

जो लबों को भी ज़िन्दगी बख्शें ,
साज़ ऐसा कोई सिखा दीजे .

दिल लगाना वो आप से मेरा ,
याद फिर से मुझे दिला दीजे

प्रीत का राग गा रहा सावन ...
आज फिर गीत वो सुना दीजे ...

बेवफा हूँ कि बा -वफ़ा हूँ मैं ...
फैसला फिर नया सुना दीजे ...

आप से उम्र भर का रिश्ता है ,
ज़िन्दगी की मुझे दुआ दीजे .

आज अल्फाज़ क्यूँ खामोश से हैं
लफ्ज़ होंटों पे इक सजा दीजे

मान कर मुझ ग़रीब को तनहा ,
आइये साथ कुछ मेरा दीजे

लुट गयी है मेरी सहर कैसे ,
रौनके बज़्म फिर बना दीजे

प्यार तो आप ही से है हमको ..
लाख चाहे मुझे सज़ा दीजे

लूट ले जो ख़ुशी ""महक "" दिल की ..
क्यूँ उसे कोई वास्ता दीजे ....

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Avani Asmita Sharma ""MAHAK"

Thursday 23 August 2012

AAHNI KIRDAR LEKIN DIL BAHOT HI NARM HAI,
JISKI CHAHAT PAR MERI ULFAT KI MANZIL KHATM HAI,

USKI YADEN, USKI BATEN, USKA YE MAKR O FAREB,
KUL MILA KAR MERE DIL KE WASTE EK ZAKHM HAI,

DUNIYA WALE HON MUKHALIF LAKH BAZME ISHQ KE,
AAJ BHI DUNIYA ME SAJTI AASHIQON KI BAZM HAI,

ISHQ BHI WO AAG HAI JIS AAG KO KUCHH BHI NA PUCHH,
SHIDDAT E GARMI SE USKI ZINDIGANI BHASM HAI,

KUCHH NAZAR AATA NAHI UNKE ALAWA CHAAR SOO,
HAR TARAF UNKE KHAYALON KI MAHAKTI BAZM HAI,

HAI" MAHEK" UNKI MAHEK SE SARI DUNIYA KI MAHEK,
WARNA YE KHUSHBOO TO MERE WASTE BAS RASM HAI,

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आहनी किरदार लेकिन दिल बहुत ही नर्म है ,
जिसकी चाहत पर मेरी उल्फत की मंजिल ख़त्म है ,

उसकी यादें , उसकी बातें , उसका ये मक्र ओ फरेब ,
कुल मिला कर मेरे दिल के वास्ते एक ज़ख्म है ,

दुनिया वाले हों मुखालिफ लाख बज्मे इश्क के ,
आज भी दुनिया में सजती आशिकों की बज़्म है ,

इश्क भी वो आग है जिस आग को कुछ भी न पूछ ,
शिद्दत ए गर्मी से उसकी जिंदगानी भस्म है ,

कुछ नज़र आता नहीं उनके अलावा चार सू ,
हर तरफ उनके ख्यालों की महकती बज़्म है ,

है " महक " उनकी महक से सारी दुनिया की महक ,
वरना ये खुशबू तो मेरे वास्ते बस रस्म है ,

Avani Asmita Sharma "" mahek ""

Tuesday 14 August 2012

Posheeda hai gamo me hamari khushi ka raaz . . . .
Usko dikha nahi kyu meri kami ka raaz . . . .

Kaate bagair saath umr ke safar ko hum . .
Pucho na mehfilon me merì zindagi ka raaz . . .

Kya chand ki chamak rahe sooraj ki lau bina . . . .
Aa raat me dikha du'n tujhe chandani ka raaz . . . .

Sailaab pyar ka bahe jab door door se . . .
Aaja ki dekh aake meri tishnagi ka raaz . . , .

Bebas nahi . . Beqas nahi main raah ishq me . . . .
Logo se kya kahu apnì bebasi ka raaz . . . .

Humse sabab n pooch insano ke tu "mahek ". . . . .
Kya aadmi bhi jaan sakaa aadmi ka raaz. . .

Avani Asmita Sharma "MAHEK"

Saturday 28 July 2012







Kahe'n kya tere hum sitam dekhte hai....
Nasibi hamaari .... karam dekhte hai...

Ajab hai muhabbat .. ajab ye qayamat...
Nazar me'n tumhaari sanam dekhte hai...

Badi der kar di... Jataane me'n tumne ....
karoge inayat ... Karam dekhte hai...

N Nada'n hu'n mai'n N paagal kaho mujh ko...
Adaaye'n Nazar Se ,,bharam dekhte hai'n...

kabhi tum miloge .. kisi to janam me'n...
khushi me'n ki Agle Janam Dekhte Hain...

diye zakhm tumne...Kahenge Kise hum...
Mahek ki Nigaahe'n ye  gam dekhte hai..

Monday 23 July 2012

ki tera naam ho jaye mera bhi kaam ho jaye,
sare bazar tu meri tarha badnam ho jaye....

kisi mahfil me tere raaz agar mai khol kar rakh dun,
tamasha tum bano, charon taraf kohraam ho jaye.....

sada mana hai maine dil ko tere ghar hai ye mera,
tujhe bhi kaash meri baat ka ilhaam ho jaye....

agar gahra hai darya e mohabbat fikr kya karna,
utar jana bhale hi maut hi anjaam ho jaye...

chalo ab peshe khidmat hai ye gazal apni....
tumhara bhi " mahek" ab shayron me naam ho jaye.....

avani asmita "mahek "

Sunday 22 July 2012

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    chalo chaahat kaa hum apne , tumse izhaar karte hai . . . .
    Diya hai humhe dil tumko, tumhi se pyar karte hai'n . . . , . .

    Abhi naadaa'n hu'n mai'n humdum ,  tumhe kaise bata deti , . . .
    Abhi jaana hai dard-e-dil ,tumhe ikraar karte hai'n . . . . . . . . .

    Nazar bhar dekha jo tumko,  mera dil haath se nikla . . . . .
    Lakeero'n me'n meri tum ab ho , ye izraar karte hai'n . . , . .

    Hamaari raaho'n me'n ab jo bhi mushkil ho, haraa denge . . .
    Sanam ab lakho'n kaanto'n se , raste purkhar karte hai'n. . . . .

    'Mahek' ke dil ki dharkan ho tumhi ko dekh kar ji lu'n,
    hame tumse mohabbat hai kahan inkaar karte hai'n. . . . . . . . .

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Sunday 8 July 2012


ISHQ KI HAD SE BHI WAQT AAYE TO GUZAR JAUNGA ....
KAUN KEHTA HAI KE MAUT AAYI TO MAR JAUNGA ...


EK TUKDA HU'n MAI'n BHI TOOT CHUKE TERE AAYINE KA
HAATH SE CHHOROGE TO FARSH PE MAI'n BIKHAR JAUNGAA ...

NAA GIRA YU"N APNI IN NAZAR SE MUJHKO DILBAR ...
KE KHUDAYA APNI HI NIGAHO'n SE MAIN GIR JAUNGA .......

AA MILA KHUD SE APNE MUJHE TU AISE HUMDUM....
KE TIREE SANGE- SE SAATH SE MAI'n BHI SANWAR JAUNGA ...


KISMATO'n KA LEKHA -JO MITANA NA HO MUMKIN ...
SAATH TERA MUJHKO JAB MILEGA TO BHI TAR JAUNGA ...........

TUM MUJHE KHUD SE YU'n DOOR KAR DO NA FIR ....
YU'n BICHAD KE JANE N MAI'n KIDHAR JAUNGA ....

DIL DIYAA HAI TAB YE ZAKHM KHAYE HAI MAINE....
EK DIN-O-PAL AAYEGAA NAAM JAA'n BHI KAR JAUNGA .................

Monday 2 July 2012





Tanhai k samandar me LAASH ho gayi hu
kisi ke jalti hui rooh ki PYAAS ho gayi hu
registaan ki tapti Ret me,,, marichika ki TALASH ho gayi hu
patjhad me toot k ,, mai PALAASH ho gayi hu

Friday 29 June 2012








चाक जो दिल को लगे ,, इसकी दवा रखते हैं  ....
ज़ख्म खा कर भी लबो-गुल को सजा रखते हैं....

क्या पता कैसे बसाया है  चमन को हमने ...
की खिज़ाओं को लुटा कर बादे-सबा रखते है.....

प्यार करना तो बुरा ही है हमेशा से यूँ ...
प्यार को सब से छुपा , दिल में दबा रखते हैं...


हसरतें अब भी दिलो -जाँ से तुझे मिलने की....
हम फ़िक्रो- ख्यालों कि  यादों  में सदा रखते हैं ...


ना गिनो हमको मुलाजिम में कि पथराये दिल से ..... 
हम मुलाज़िम हैं मगर इतनी अना रखते है....

Wednesday 27 June 2012

मिट गयी है सब खिज़ा ...
खिल गयी है यूँ फिज़ा ..

ज़िन्दगी से तुम गए ..
चैन  मेरे  भी गए  .....
ज़ख्म  दिल को जो मिले  ....
दो मुझे फिर वो कज़ा   ...

बेवफा हूँ ये कहो  ..
और बाक़ी क्या  रहे  ...
बावफ़ा बन ना सकी ...
ये न थी मेरी सज़ा.......

चोट देते है हमें ...
ज़ख्म जो तुमने दिए ....
टीस के  क्या हों  गिले  ...
खा गए फिर हम दग़ा..

किस्मतों में  हैं  लिखे   ...
प्यार तेरा जो नहीं...
वो इलाजे ग़म मिले  ...
जो "महक " की हो दवा ....

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mit gayi hai sab khiza ,,
khil gayi hai yu fizaa ..

zindagii se tum gaye ,,
chain mere   bhi gaye,,
zakhm  dil ko jo mile..
do mujhe fir wo kaza...

bewafa hu ye kaho..
aur baaqi kya rahe ...
baawafa ban naa  sakii..
ye na thi meri sazaa..

chot dete hai hame ..
zakhm jo tumne diye.,,.
tees ke kya ho gile ....
khaa gaye hum fir dagaa ...

kismato'n  ke hai'n  likhe ,,
pyaar tera jo nahi...
wo ilaajo gum mile ...
jo "mahek " ki ho dava ...

Tuesday 26 June 2012






मेरी  ज़िन्दगी  का सबब  हो।...
की  जाने जिगर हो गज़ब हो।.

रेगिस्ताँ  कि  मारीचिका  हो।....
तुम मेरी नज़रों की  तलब  हो।.

सुब्ह की  नमाज़ें  हों  जैसे .......
मेरी हर दुआ में अदब हो।.......


आ जाओ  "महक " ख्वाबों में  ........

मेरी  ज़िन्दगी का मतलब हो ............
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meri  zindagi  ka  sabab  ho ...
kee jaane  jigar ho gazab ho ....

regista'n ki  maarichika ho .....
tum meri nazaro'n kee  talab ho ..

sub'h kee namaze 'n ho'n jaise
meri har dua me'n adab ho ......

aa  jao "mahek " khwabo'n  me'n ....
meri zindagi ka matlab ho ...


अवनि अस्मिता शर्मा  .........



Saturday 23 June 2012






मिट गयी है  खिज़ा ...
आ गई बरसात है...
खिल गयी यूँ फिज़ा ..
आ गयी बरसात है....

ज़िन्दगी से तुम  गए ..
वक़्त मेरा भी  गया .....
दाग़ दिल को जो मिला ....
दो मुझे फिर वो निशाँ ...
आ गई बरसात है...

बेवफा हूँ ये  कहा ..
और क्या बाक़ी  रहा  ...
बावफ़ा बन ना सकी ...
ये न थी मेरी सज़ा.......
आ गयी बरसात है...

चोट देते है हमें ...
ज़ख्म जो तुमने दिए ....
टीस का क्या हो गिला ...
खा गए फिर हम दग़ा..
आ गयी बरसात है....

किस्मतों का है गिला ...
प्यार तेरा जो नहीं...
वो इलाजे ग़म बता ...
जो "महक " की हो दवा ....
आ गयी बरसात है

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mit gayi hai khiza ,,
aa gayi barsaat hai.,..
khil gayi yu fazaa ..
aa gayii barsaat hai...

zindagii se tum gaye ,,
waqt mera bhi gaya,,
daag dil ko jo mila..
do mujhe fir wo nishaa...
aa gayi barsaat hai...

bewafa hu ye kaha..
aur baaqi kya raha ...
baawafa naa ban sakii..
ye n thi meri sazaa..
aa gayi barsaat hai...

chot dete hai hame ..
zakhm jo tumne diye.,,.
tees ki kya ho dava ....
khaa gaye hum fir daga ...
aa gayi barsaat hai....

kismato ka hai likha ,,
pyaar tera jo nahi...
wo ilaaje gum bata ...
jo "mahek " ki ho dava ...
aa gayi barsaat hai.....

by - Avani Asmita Sharma


Wednesday 20 June 2012

जल उठे  थे  बुझ  के  हम  ;शमा -ए -लौ  से  प्यार  की  ;
 फिर तेरी  हर  एक  झलक , पे  नज़रों  को  झुका   जाना  ;

 गर  कही  जो  चल  पड़े ; तेरे  बुलाने  पे  सनम  ;
वो  तेरा  मंजिल -ए –इश्क , से  वापस   को  बुला  जाना  ;

कई  असर  चलती  रही , कूचा -ए -गुल  में  यार  की  ;
वो  तेरा  मुझको  दीदार -ए  –तर  को   तरसा  जाना  ;

गर  कहीं   तुम  मिल  गए  किस्मत  सराहेंगे  कसम  ;
वो  तेरा  खा  कर  कसम  , हर  कसम  को  झुठला  जाना  ;

रात  की  खामोशियाँ  ,हमको  सताती  है  "महक " ;
तेरी  याद  से  रोज़ -रोज़  , दिल  का  यूँ   धड़का   जाना  ;

 मेरी  चाहत  का  सिला  क्या  देंगी  तेरी  तल्खियाँ   ;
वो  तेरा  हर  मोड़  पर , दिल  का  बहला  जाना  ;

देख  कर  हम   लुट  गए  , तेरे  प्यार  की  रुसवाइयां  ;
फिर  कज़ा  के  वक़्त  पर  , चेहरे  का  मुरझा  जाना  ;

Tuesday 19 June 2012








Bheeni-bheeni si udati hai faza ki  KHUSHBOO,
dheemi -dheemi  ke fir-e-shaakh ki  hawa aati hai,

Muskurati hain jo reh-reh ke ghata me bijli,
Aaise halat me meri jaan pe  ban aati hai,

Mujhse karte hain, ghane baagh ke saaye baatein,
Aish baatein ki meri Aankhein  jhapak jati hai,

Gugunate hai wo jab raat ke sannate me,
Aap hi aap tabiyat meri bhar jati hai

Yun "Mahek " ko chookar guzari sansein unki,
Dil me har saans ek faans si chubh jati hai,



भीनी -भीनी सी उड़ती है फ़ज़ा  क़ी  खुशबू   ...
धीमी -धीमी  सी  हवा  फ़िर-ए-शाख़ आती है..............

मुस्कराती  हैं  जो रह -रह के घटा में बिजली ....
ऐसे हालात में मेरी जान पे बन आती है.......

मुझसे करते है घने बाग़ के साए बातें ....
ऐसी  बातें की मेरी आँखें झपक आती है.....

गुनगुनाते  हैं वो रात के सन्नाटे  में ....
आप ही आप तबीयत मेरी भर आती है...

यूँ "महक " को छूकर गुज़री साँसें उनकी ...
दिल में हर साँस  एक फाँस  सी चुभ आती है........


Monday 18 June 2012








bebasi hai meri ,, majbori tumhari hai..
dono me anban , kaisi apni yaari hai...

kareeb se dekho mujhko... kya dekha ..
mere aks me,, parchhai tumhari hai...

dil me jab nafrat hai meri khatir ...
chehre pe shikan ki kaisi beqarari hai...

paa reh ke bhi kabhi chalna nahi seekhe...
tumpar meri kaisi khud-mukhtari hai...

sawaalat mere hardum taalte rehna...
aur ye jawaab ki adaa bhi qarari hai...

mere chaar-suu jo din-o-raat shamil ho tum...
khoob tumhari andaaze sheh-savari hai....

Laakh apne dil mein basa lein mujhko...
fir bhi dil se to "MAHEK " tumhari hai.....


Asmita

Saturday 16 June 2012


















I WAS WALKING LONG IN SEARCH OF A TRUE MATCH ;
BUT AFTER A DSTANCE I STOPPED AND GAVE A WATCH ;


WATCH THE WORLD WITH ALL DIRTY CREATURES '
WHO ATTACH TO SOMEBODY AND SURVIVE LIKE CREEPERS;

ALL OVER I SEE IS FALSE AND WRONG ;
NEVER UNDERSTAND WHAT IS GOING ON ;

AND FIGHT FOR "TRUTH" AND "TAUTOLOGY"
WITH NO ONE IS SLOWING DOWN ;

EVERYONE IS RUNNING BEHIND ;
A FALSE LUXURY PRETENCE ;
FOR THERE OWN SAKE ;
THEY FIGHT ..STRIFE AND OFFENCE ;


I DON'T KNOW WHAT TO DO ;
AND WHERE TO GO ;
IS IT THE TIME ;
TO END UP MY SEARCH AND BOW;





Friday 15 June 2012








बच्चों को सुनाते हुए कहानी रात में ..
अपना बचपन भी गुज़ारा उन जज़्बात में...

वो माँ की लोरी ... नानी-दादी की कहानी....
अब सब ख गयी है बडेपन के हालात में..

पापा की कहानी के गणेश -कृष्ण -राम ..
अब बँटने लगे कौम और ज़ात में .....

माँ के बनाये  के चीले - पोहे की जगह ..
अब पिज्जा , चाउमिन , बर्गर है हाथ में ....

बचपन में लगता इश्वर  तस्वीर निकालें हमारी.  ..
 हर बार कड़कती बिजली की घात में...

अब बिजली गिरती है धरती पर...
पर व पानी नहीं बरसता बरसात में ...

कागज़ की  थी नाव तो थी अपनी  ....
अब तो लेखा -जोखा लिखते है कागज़ात में.....

बचपन के संगी -साथी छुट गए सब अपने ...
सारा बचपन खो गया आज के खयालात में....  

Wednesday 13 June 2012

bebasi hai meri ,, majbori tumhari hai..
dono me anban , kaisi apni yaari hai...

kareeb se dekho mujhko... kya dekha ..
mere aks me,, parchhai tumhari hai...

dil me jab nafrat hai meri khatir ...
chehre pe shikan ki kaisi beqarari hai...

paa reh ke bhi kabhi chalna nahi seekhe...
tumpar meri kaisi khud-mukhtari hai...

sawaalat mere hardum taalte rehna...
aur ye jawaab ki adaa bhi qarari hai...

mere chaar-suu jo din-o-raat shamil ho tum...
khoob tumhari andaaze sheh-savari hai....

Laakh apne dil mein basa lein mujhko...
fir bhi dil se to "MAHEK " tumhari hai.....

Sunday 10 June 2012


 

 
MAIN SAWALO KI TARAH HU, TU JAWABO'N KI TARAH,
TU HAI TABEER MERI, MAIN TERE KHWABO'N KI TARAH,

MERI TAHREER SE NAFRAT HAI, TO KHAT MERE,
KYU SAJA RAKHE HAI KAMRE ME KITABO'N KI TARAH,

YAAD JAB RAAT GAYE DIL ME UTAR JATI HAI,
TERA EHSAAS MEHEKTA HAI GULABO'N KI TARAH,

WAQT NE CHIN LI HONTHO SE KHUSHI KI SAUGAAT,
AB KA HAR LAMHA GUZARTA HAI AZAABO'N KI TARAH,

MERE ANSOO KI MAHEK BHAYE HAI TERE DIL KO,
KISI BOSEEDA KITABO'N ME GULABO'N KI TARAH,,


By -- Avani Asmita Sharma "MAHEK""

Wednesday 30 May 2012



yauvan ki is tarunai  me ,,alsaai si angdaai me ...
sawan ki ritu baurai me ,, kab tak kare batao priytam ?
sapno ka manuhaar.. tumhare wado'n pe aitbaar........

taare karte aankh micholi.. baadal chanda ka humjoli.......
khali hai bas apna daaman ,,kab tak kare batao hum,,
yu'n tanhai se pyar ,,tumhare wado'n pe aitbaar.........

shool chubhaye purwa bairan ,, rimjhim girti barish chhamchham ,,,
pyasa pyasa sa antarman ,, kab tak jhelenge hum bolo,,,
mausam ki ye maar ,, tumhare wado'n pe aitbaar ,,,,,,

Monday 21 May 2012

मेरी लिखा  नया   छत्तीसगढी व्यंग्य   पेश करना चाहूँगी

रोड मा बइठे भंईसा ..........अऊ विधान सभा मा बइठे नेता मन ...
कई जुआर ऐके सरी लागथें ...

गाडी कतका पें -पूं करए ..
भईसा हा टरए नहीं ....
अऊ ऐ नेता मन कतको बुढाहीं ....
कुर्सी के मोह ला छोड़एँ नहीं ...

बईठे हे बबा कस बीच रोड मा ....
पूँछि ला हीलावत हे ...
माँखी ला उड़ावत हे ....

गाड़ी वाला बिचारा पें -पूं करत हे ....
भईंसा के मुडि ओला देक्खे टरत हे।......

मोर बर नइ बनाएव कोनो आवास ....
मोरो बर बनावौउ कोनो निवास ....
जब तक नाहिं बनाहू ...
मैं ट्रेफिक के करहूँ सत्या -नास .....

जइसे मोर मालिक मोला खवा -पिआ के ....
मोर दूध ला दूहत हे ,,,
वईसने नेता मन जनता के कमई ला ....
अपन समझ के चूहत हे ....
मोला तो खाए बार मालिक चारा दे दिही ...
फेर जनता के मेहनत के कमई ला .......
नेता मन भईंसा बन चरत हें .........
Kal Jab hum Chote the Aur Koi bhi
hamari Baat
Samajh Nhi Pata Tha,
Tab Sirf 1 Hasti Thi
Jo apne Tute Phoote Alfaaz Bhi Samjh
Jati Thi
.
Aur Aaj Hum Usi Hasti Ko Ye KehteHain
Ki:
(Aap Nhi Janti)
(Aap Nahi Samajh Payengi)
(Aap Ki Baate Mujhe Samajh Nahi Aati)
(Ho Gayi Ab Aap Khush)
Respect Dis "Honourable" Personality
Before The
Companionship Ends.
IT'S TRIBUTE TO OUR LOVELY
MOTHER...
Sakht rasto mein bhi aasan safar lagta
hai,
Ye mujhe MAA ki duao ka asar lagta
hai,
Ek pal k liye bhi meri MAA nhi soyi Jab..
Jb bhi meine kaha ki "MAA mujhe
andhre se dar lagta

LOVE STORY.......

Love story .. part 1 
BY: ASMITA BHAVESH SHARMA

ये उन दिनों की बात है जब हमारे पापा का ट्रान्सफर हुआ था.. वो शहर एकदम नया ,, माहोल भी नया,, और लोग भी,,, पुराना शहर ,,अपना,, घर ,,अपना स्कूल,, और अपने फ्रेंड्स को हम बहुत मिस कर रहे थे,,,, बस एक बात अच्छी  थी ,, हमे पढने का बहुत शौक़ हुआ करता था,, और हमारे पापा के पास बहुत ही उम्दा किताबें हुआ करती थी,, हम बस अपनी  छुट्टियों को उन्ही किताबों को पढ़कर स्पेंड करने लगे,, "नटरंग" का पापा के पास बहुत संग्रहण हुआ करता ,,और उसमे नाटक के मंचन की बहुत रेयर तसवीरें भी हुआ करती थी,,, शायद हमारे स्वप्न-लोक में रहने का एक कारण किशोरावस्था में पढ़ी हुई वो कहानियां ही हों ,,बहरहाल समय अपनी उसी गति से बढ़ता रहा ,,उसे किसी के तनहा होने या अपने दोस्तों को छोड़ने के दर्द से क्या,,, पापा-मम्मी हमारे नए घर की सजावट में व्यस्त  थे  और उनको भी हमारे गम का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था....कभी बातें करते भी तो बस हमारे नए  एडमिशन की और उस छोटे से शहर में अच्छा सा स्कूल ढूंढने की ,, मन तो करता उनको कहें " अगर ये जगह इतनी ही बुरी है तो हमे वहीँ क्यों न छोड़ आये,,पुराना स्कूल कितना बड़ा था और टीचर्स  सभी हमे कितना प्यार करते थे,, और हमारे फ्रेंड्स जो हमे कितना मानते थे,,, पर हमारी बात सुनने की फुर्सत ही किसे थी..
 हमे उस शहर में अभी १५ दिन ही हुए थे की हमारी सामने वाली पड़ोसन मम्मी से मिलने आई.. मम्मी से यहाँ वहां की बातें करने लगी,, और बड़े ही ताज्जुब से कहने लगी की अरे आपकी बस १ ही लड़की है,, १ लड़का और कर लेते ,, मम्मी ने हमेशा की तरह उनको कह दिया की देना होता तो भगवान ने पहले ही एक लड़का दे दिया होता ,,जो तब नहीं दिया ,उसके लिए अब सोच कर परेशां क्यों होना ,, आंटी जी कहने लगी वो तो ठीक है लेकिन इसको इतना पढ़ाने की क्या ज़रूरत है, दिन भर पता नहीं कौन सी किताबों में सर खपाई करती रहती है,, कुछ घर का काम आता है या नहीं इसको,, वो सब सिखाइए ,,जी में आया कह दें की आंटी जी आप हैं न इतनी अच्छी , आप ही आ जाइएगा ,, लेकिन जवाब मम्मी ने दिया ,, मम्मी ने कहा नहीं जी मेरी बेटी बड़ी होनहार है,, सब आता है उसको,, अब नौकरी में तो अकेले ही रहना होता है ,, ये नहीं करेगी तो कौन करेगा,,आंटी ने पता नहीं समझा या नहीं, बस मम्मी को सब बताने लगी , राशन की दूकान ,, दूध वाला, और बहुत सारी घर -गृहस्थी की बातें,, मम्मी भी सब बड़े ही ध्यान से सुनने लगी, फिर आंटी से बोली की " मेरी बेटी को एक दिन सब दिखा लाइए,, काम तो इसी क करना है न,," ... आंटी जी जो मेरे लड़की होने से वैसे ही चिढ़ी हुई थी , चौंक गयी ,, अरे इसको क्यों भेजोगी, मेरा बेटा है न ,, वो सब कर देगा ,, मम्मी ने कहा "आप क्यों तकलीफ करती हैं उसी को कह दो की शाम  को ही इसको ले जाकर सब दिखा दे,, आंटी ने अनमने मन  से हाँ कर दी .........................................  
शाम हुई और मैं दिन की बातें भूल चुकी थी,,, आंटी जी को अच्छा लगा हो या नहीं लेकिन शाम को उनका बेटा हमारे घर आया, और हम दोनों एक साथ आंटी जी की बताई हुई जगह पर गए,,,, उसकी रेंजर साइकिल और मेरी लेडी बर्ड साइकिल में चलते हुए हमने उस दिन बहुत सारे काम किये घर के,,,वो अपने बारे में मुझे बहुत कुछ बताता जा रहा था और मैं भी सुनती जा रही थी,, वो छः  भाइयों में सबसे छोटा था ,,और बहुत लाडला होगा ऐसा मुझे उसकी बातों से लगा,, मैंने तभी पहली बार गौर किया की वो कितना खूबसूरत था,,, शाम के डूबते हुए सूरज की हलकी रौशनी में खिले हुए पूर्णिमा के चाँद जैसा,, चलती हुई साइकिल में उसके बाल जब हवा से उड़ते ,,तो एक अजीब सी सिरहन महसूस की मैंने ,,,,, अनजानी ,,,अजनबी सी एक भावना,,, शायद ये वही पहली नज़र थी जिसे लोग प्यार कहते हैं,,,वो भले ही मुझसे बड़ा था ,, लेकिन उसका मन किसी निर्मल नदी के प्रवाह की तरह स्वच्छ ,, वो मेरी भावनाओं को क्या समझ पाया होगा,,, और वैसे भी कहते हैं की  लडकियां ऐसी बातों को ज्यादा जल्दी से भांप लेती हैं ,,,हम उस रोज़ घर तो आ गए थे ,, लेकिन मेरा मन उसी साइकिल राइड में भटकता रहा ,,,उस दिन से लेकर बाद के कई सालों तक,,,मम्मी शायद जो इन बातों से अनजान थी,, हमेशा की तरह मेरी दिल की भावनाओं को पढना उसने ज़रूरी नहीं समझा था ,, अगले दिन मुझसे कहने लगी की कालोनी में जो  मेरी उम्र के बच्चे हैं ,,मैं उनके साथ घुल-मिल जाऊं ,, तो मुझे भी इस नयी जगह में अच्छा लगने लगेगा,, लेकिन मम्मी को क्या पता था की मुझे तो ये नया शहर वैसे भी अच्छा लगने लगा था,,  नया शहर और नए शहर के लोग मुझे और नए लगने लगे थे,,,मैनें मम्मी की बात मानकर  बाहर जाना शुरू किया ,,,लेकिन वहां की लड़कियां मुझसे कुछ अच्छा व्यवहार नहीं करतीं थीं ,, तब वही मेरे पास आकर बैठता और हम बहुत साड़ी बातें करते,, उसने मुझे बताया की मैं जो घर पे पढ़ती रहती हूँ वो उसको बहुत अच्छा लगता है,, और उसी ने मुझे बताया की ये छोटा शहर है न इसलिए यहाँ के लोगों की सोच थोड़ी सी अलग है ,,और लड़कियां मुझसे जलती हैं,, मेरे कपडे पहनने के तौर तरीके भी यहाँ बहुत लोगों को पसंद नहीं आते,, उसने कहा  तुम कुछ भी करो इसमें कोई बुरे नहीं लेकिन लोगों को अगर तुम्हारे बारे में कोई ग़लतफहमी हो जाये तो इसमें बुराई ज़रूर है,,,मेरे कपड़ों के बारे में उसने जो कहा सच कहूँ तो एक लड़की होने का एहसास मुझे उसी वक़्त हुआ.. वो धीरे- धीरे मेरे हर  पहले एहसास में शामिल हो गया और उसका हिस्सा बन गया...............


दिन अब बहुत अच्छे गुजरने लगे ,, मैं जब अपनी छत पर पढने जाती वो भी अपने छत पर आ जाता ,, अपनी छत से आम,अमरुद,अनार, सब तोड़कर वो मेरे छत पर फेंकता,,, कभी अपने कबूतर उड़ाकर मेरे पास भेज देता,, तो कभी मुझे कौरव-पांडव के फूल देता ,,, अजीब सा रिश्ता था उसका और मेरा,, हम दोनों सबसे अच्छे दोस्त थे,, बिना स्वार्थ और किसी बुरी भावना के हम अपनी सारी बातें एक दुसरे को बता दिया करते,, बहुत ही साफ़ और प्यारा सा एक रिश्ता ......उसी साल मुझे मलेरिया हो गया ,,मैं बहुत घबरा गयी ,, पता नहीं मैं एक्साम्स में क्या करुँगी ,,एक्साम्स में सिर्फ दो ही महीने बचे थे ,, और क्लास की पढाई,, रोज़ दिए जाने वाले नोट्स ,,सब कुछ करना ,, मैं कैसे कर पाऊँगी,, वो रोज़ घर आता ,,मुझे कालोनी की पूरी खबर देता,, कहता की लड़कियां अभी खुश हैं की तुम बीमार हो और घर से बहार नहीं जा रही हो,,मैंने पूछा और तुम ,, उसने कहा मैं खुश नहीं हूँ , तुम्हारे इस साल बोर्ड के एक्साम्स हैं,, और अगर तुमको डॉक्टर बनना है तो तुम्हें इस साल अच्छे नंबर से पास होना ही होगा ,, नहीं तो तुम्हारा पूरा साल खराब हो जायेगा,, मैंने कहा की इतनी बिमारी मैं स्कूल जा ही नहीं सकती,, और इस शहर में कोई प्राइवेट ट्यूटर भी नहीं जो घर आकर मुझे पढ़ा दे,, उसने कहा की तुमको किसी ट्यूटर की ज़रूरत ही क्यों है,, मैं स्कूल जाकर तुम्हारे नोट्स उतार लाऊंगा,, और तुम घर पर ही तैयारी कर लेना,, उसने अपना वादा निभाया,, और मैंने उस साल बहुत अच्छे नंबर से एक्साम्स पास किये,, घर पर अब मेरे आगे की पढ़ाई की बात होने लगी थी,, मुझे किसी अच्छे जगह से कोचिंग करनी चाहिए और ध्यान लगाकर पढना चाहिए,, सबने मिलकर फैसला ले लिया ,, मुझसे किसी ने एक बार भी नहीं पूछा,, बस मैं भी अपनी भावनाओं को दबाये हुए जाने की तैयारी में लग गयी,, उसने हमेशा की तरह मेरी उस समय भी बहुत मदद की,, और जैसे समय हमेशा कुछ अच्छा होने पर धीरे -धीरे बीतता है,, जैसे चाह रहा हो की हम जी भर कर उस ख़ुशी की अनुभूति कर लें,,और कुछ बुरा होने पर बहुत जल्दी बीत जाता है,, जैसे जल्दी गुज़र जायेगा तो दर्द की वो संवेदना भी जल्दी ही गुज़र जाएगी,, बस कुछ महसूस नहीं होगा,, वैसे ही वो दिन भी आ ही गया,, मम्मी ने बहुत अच्छा सा टिफिन बनाया ,,नयी जगह के लिए चिवड़े ,,सुहाली,,नमकीन अलग अलग नाश्ता बना कर दिया,, और फिर ट्रेन का टाइम होने पर हम स्टेशन भी पहुँच गए,, लेकिन आज वो सवेरे से कहीं दिखा नहीं था मुझे,, न घर आया,, न अपने घर पर दिखा,, मेरे दिल का दर्द और बढ़ गया,, अगर उसे देख कर जाती तो शायद कम दुखी रहती ,,पर न जाने आज वो कहाँ था,, ....................................
हम घर से निकल कर स्टेशन पहुँच गए थे,, ट्रेन के आने में कुछ वक़्त था,, मम्मी-पापा दोनों हमें नयी जगह में एडजस्ट कैसे करना यही सब बता रहे थे,, किसी का ध्यान इस बात पर नहीं था की मैं भी कुछ सोच सकती हूँ ,, मेरे कोई और ख्याल हो सकते हैं,,और सबसे ज्यादा मैं कितना दुखी थी,, उस अजनबी शहर से दूर जाने पर,,और ये की अब न ही ये शहर और न ही इसके लोग मेरे लिए अजनबी थे,, किसी को मेरी भावनाओं की ज़रा भी चिंता नहीं थी,,तभी मुझे स्टेशन के गेट पर वो दिखा,,उसकी आँखें जैसे बेताबी से किसी को खोज रहीं थी,, वो मुझे उस भीड़ में नहीं देख पा रहा था,,लेकिन क्यूंकि मेरी नज़रें उसकी आस लगाये सिर्फ गेट पर ही थीं ,,मैंने उसको देख लिया था,,मैं पापा को कोई मागज़ीने खरीद लेती हूँ ये कह कर बुक स्टाल तक गयी,, उसने भी मुझे देख लिया,,वो पास आया ,,तो मैं उसको चिल्ला पड़ी ,,जिन भावनाओं को मैंने इन सालों में दबा रखा था,,वो आंसूं बन कर अब बहने लगे थे,, मैंने उसको पूछा "कहाँ थे तुम अब तक,, घर पर नहीं आये,,तुमसे बिना मिले मैं चली जाती तो तुम्हे बुरा नहीं lagta",,उसने कहा "बुरा तो लगता ,,पर मैं तुम्हे अलविदा नहीं कह सकता था,,तुम्हे अपने से दूर नहीं भेज सकता था" और उसकी आँखों में भी आंसूं आ गए,,"" पता नहीं कब से ऐसा हुआ ,,शायद उस पहले ही मुलाक़ात से ,,या उससे पहले जब तुम अपने कमरे में किताबें पढ़ रही होती,, और मैं अपनी छत से तुमको देखा करता ,,लेकिन मैं तुम्हें बहुत पसंदकरने लगा था,, पर कभी तुमसे कुछ कहने की हिमात नहीं हुई,, मुझे लगा की अगर मैंने तुमसे कुछकहा तो शायद हमारी ये दोस्ती भी खो दूंगा,,लेकिन अब जब तुम जा रही हो तो मुझसे चुप नहीं रहा गया ,, अगर आज तुम बिना कुछ सुने चली जाती तो मैं शायद फिर तुमसे कभी नज़रें नहीं मिलापाता ,, तुम ये मत समझना की मैं हमारी दोस्ती का फायदा उठा रहा हूँ ,, लेकिन ये सच है की मेरीतुम्हारे लिए यही भावना है,, और मैंने तुमसे अच्छी कोई लड़की कभी नहीं देखी,, तुम इतनीखूबसूरत हो,, इतनी होशियार हो,, मैं जानता हूँ मैं कहीं से तुम्हारे लायक नहीं हूँ ,, और तुम्हें ज़िन्दगी में बहुत ऊँचा मुकाम पाना है ,, मैं चाहता हूँ की तुम बहुत पढो,, कुछ करो,, मैं तो घर के माहौल की वजह से कुछ कर नहीं पाया ,, लेकिन तुमको कुछ कर दिखाना है,, अपने पापा के लिए,, और उन लोगों के लिए जो समझते हैं की लड़कियां ज़िन्दगी में कुछ नहीं कर सकती "मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा की मैं भी तुम्हे बहुत पसंद करती हूँ ,, पहली बार जब हम साथ गए थे तब से,, लेकिन कभी तुम्हें कुछ कहने की हिमात नहीं कर पाई,, लेकिन आज अगर तुमसे मिले बगैर और अपने दिल की बात किये बगैर चली जाती तो मैं ज़िन्दगी भर अपने आप से नज़रें नहीं मिला पाती"
फिर मेरी ट्रेन आयी और मैं अपने नए सफ़र के लिए निकल गयी,,दो साल की कोअचिंग करने के बाद मेरा एडमिशन अच्छे मेडिकल कॉलेज में हो गया,, ज़िन्दगी यूँ ही आगे बढती रही,, तब न तो कोई फ़ोन हुआ करते ,,न इन्टरनेट और न ही मोबाइल " और हम एक दुसरे को कभी ख़त भी नहीं लिख पाए,,पापा का ट्रान्सफर भी फिर किसी नयी जगह में हो गया,, हम कभी उस शहर वापस नहीं जा पाए,, न ही उस दिन के बाद उस से मिल पाए ,,, ज़िन्दगी यूँ ही गुज़रती रही,, लेकिन फुर्सत के पलों में आज भी उस अजनबी दोस्त को याद कर लेते हैं ,,,,बस अब उसके साथ यादों का अटूट नाता जोड़ लिया है हमने,,

 हमारी शादी हुई ,,बहुत अच्छी और सफल गृहस्थी रही हमारी,, वो हमेशा मेरे लिए वही बचपन का साथी रहा,, आज बेटा और बेटी अपने जीवन में व्यस्त हैं ,,सब के बाल-बच्चे हो गए हैं,, हम अपने नाती-पोतों में व्यस्त रहते हैं,, ज़िन्दगी बहुत खुशहाल रही,,और मुझे ख़ुशी है की मुझे इतना अच्छा साथ मिला,,बस इसलिए आज आपसे अपनी ये छोटी सी कहानी शेयर कर रही हूँ,,..................................
आज भी महसूस करती हूँ ,,ठंड की उस गरम दोपहर को मैं ,,

जब भी दोपहर में उस छत पर जाती,,तेरा उन परिंदों को मेरे छत पर भेजना,,
उनकी पंखों में तेरी उड़ान को ,,महसूस किया मैंने,,

वो तेरा पेड़ से तोड़, अमरुद ,,अनार,,मेरे दामन में देना,,
उनके स्वाद में तेरे लबों को ,,महसूस किया मैंने,,

वो स्कूल के रास्ते में,,तेरा आकर मुझे "कौरव-पांडव" के फूल देना,,
उनकी खुशबू में तेरी सांसों को ,,महसूस किया मैंने ,,

वो सावन के झूले,,जो तुने आम के बागीचे में लगाये थे,,
उसमें झूलते हुए तेरे साथ को,, महसूस किया मैंने,,

वो शादियाँ जो मोहल्ले हुआ करती थी,,
तब क्या कहूँ क्या क्या ,,महसूस किया मैंने,,

वो तेरा रंग लगाना,,मेरे रुखसारों पर,,
आज भी तेरे हांथों का स्पर्श,,महसूस किया मैंने,,

जब भी रोई हूँ मैं तन्हाई में,,
तेरी दो नज़रों को अपने चेहरे पर,,महसूस किय मैंने,,
  • STORY OF A NEW BORN BABY........

    STORY OF A NEW BORN BABY........

    हाय मैं हूँ श्रीनू ...19 february को शाम के 04:02 pm पर मैं इस दुनिया में आया,,मेरे birth होते ही नर्स मुझे नहला कर साफ़ करने लगी,, 9 महीने से मैं एक अजीब सी अँधेरी जगह में बंद था,,वहां बहुत अँधेरा रहता था,,इसलिए जब मैंने इतनी रौशनी देखी तो मैं डर गया,, और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा ,, तभी मुझे न अचानक एक आवाज़ आई "रोते नहीं बेटू",,मुझे ये आवाज़ बहुत जानी-पहचानी सी लगी,,जैसे मेरा कोई अपना मेरे पास हो,,और मैं चुप हो गया ,,4:40 को dr. मुझे लेकर बहार आई ,,वहां बहुत सारे लोग खड़े थे,, सभी बहुत खुश लग रहे थे,,मुझे देखते ही चिल्लाने लगे,,dr.ने मुझे किसी की गोद में दे दिया ,, किसी ने पीछे से कहा की ये तुम्हारी दादी है,, दादी मुझे बड़े ही प्यार से देख रही थी,,फिर मुझे किसी और ने गोद में लिया ,,वो मेरी नानी थीं ,,फिर मुझे मौसी-नानी ने गोद में लिया,, और फिर मेरे दादू और नानू ने,, पर मैं तो बस अपने मम्मी और पापा को देखना चाहता था,, वही तो थे जिनको मैं अँधेरे में बंद भी देखता रहता था,,उनकी आवाज़ सुनता रहता ,,............ थोड़ी देर के बाद पापा आये और उन्होंने मुझे गोद में ले लिया,,वो बहुत सारी मिठाई लेकर आये थे,,और सबको खिला रहे थे,,वो भी बहुत खुश लग रहे थे,,पर उन्होंने मुझे ज़्यादा देर अपने पास नहीं रखा,,मुझे तो बस उन्हीं के पास रहना था,, और मेरी मम्मी के,, पता नहीं मम्मी कहाँ थीं,, अब तक वो मुझे दिखाई नहीं दीं,,वहां कोई मेरे पास -पास ,,अजीब सी चीज़ लिए घूम रही थी,, पता नहीं था की उसके हाँथ में क्या था,,लेकिन सारे लोग उसको कह रहे थे की ""चीनू हमारी भी शूटिंग कर श्रीनू के साथ ""...शायद वो मेरी चीनू मासी थीं,,

    पर मुझे क्या पता की दादा क्या होता है,,दादी किसको कहते हैं,,नाना-नानी कौन होते हैं,, पर मुझे एक बात ज़रूर पता थी की,,सब मेरे अपने हैं और सब मुझे बहुत प्यार करते हैं,, क्यूंकि जब ये लोग मुझे देख रहे थे तो सब की आँखों में मेरे लिए बहुत प्यार था,,जब उन लोगों ने मुझे गोद में लिया तो मुझे लगा की अब मैं ठीक हूँ और मुझे इनके होते हुए कुछ नहीं हो सकता,,

    इतना करते हुए 15-20 min हो गए थे,, फिर वो लोग मुझे लेकर एक रूम में गए ,,और मुझे कपडे पहनाने लगे,,ये काम पहले भी तो कर सकते थे न,, मुझे नंगू-पंगु क्यूँ रखे थे,, कितनी शर्म आ रही थी मुझे,, खैर अब मैंने कपडे पहेन लिए थे और मैं बहुत ही स्मार्ट लग रहा था,,

    थोड़ी -थोड़ी देर में वही सारे लोग बार-बार कमरे में आते और मुझे प्यार कर देते,,,फिर ६ बजे मेरे ताऊजी और ताईजी आये,, और उनके साथ मेरी छोटी-छोटी 2 दीदी भी आये,,ईशा और सुहानी दीदी ,,इनको तो मैंने देखते ही पहचान लिया मैं इनसे इतनी बातें जो करता रहा हूँ,, ताई जी ने मुझे बहुत देर तक गोद में रखा और बहुत प्यार किया,, ताऊ जी को सर्दी थी न,,इसीलिए उन्होंने मुझे दूर से देखा,,वो कितने अच्छे है,,मुझे देखकर बोले की "अरे ये तो पूरा हमारे घर पे ही गया है" ,,,फिर 2 और मौसियाँ आयीं मेरी 3rd वाली मौसी नानी के साथ,, वो लोग भी मुझे देख कर बहुत खुश हो गयीं,, कितना गोरा है,, और कितनी सोफ्ट स्किन है इसकी,, अरे गोरा तो रहूँगा ही न ,,मेरी मम्मी इतनी सुंदर जो है,,फिर मुझे बिस्तर में सुला दिया गया,,और मेरी दादी ने अपनी ऊँगली से कुछ मीठा-मीठा सा मेरे मुंह में चटाया.....मुझे वो मीठी सी चीज़ बहुत अच्छी लगी ,, और मैं मज़े लेकर उसको चूसने लगा,, मेरी 3rd वाली गुड्डी मौसी नानी जल्दी से बोली -चीनू इसकी शूटिंग कर ,,देख कितना प्यारा लग रहा है,,कितना सुंदर मुंह बना रहा है,,सारे लोग मेरे पास बिस्तर पर ही बैठे थे,,और पता नहीं क्या-क्या बातें कर रहे थे ,,लेकिन वो लोग मेरे ही बारे में बातें कर रहे थे,, की मेरी आंखें किसके जैसी हैं ,,मेरी नाक किसके जैसी हैं,,

    अरे मैं तो अपनी मम्मी के बारे में बताना भूल ही गया था,,अब वो कमरे में आ चुकी थीं,, वो बहुत कमज़ोर दिख रहीं थीं,, वो वहां रखे एक दुसरे बिस्तर पर लेट गयीं,, मैं उनको देखना चाहता था,,कब से इंतज़ार कर रहा था मैं मम्मी का,,पर वो बहुत दूर थीं इसी लिए मुझे कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था,, मम्मी मैं आपकी गोद में आना चाहता हूँ,,आपको प्यार करना चाहता हूँ,,और आपको ये बताना चाहता हूँ की मैं कितना खुश हूँ,, और आपको बहुत सारा थैंक्स कहना चाहता हूँ,, की आपने मुझे कितनी अच्छी family दी है,, जो मुझे इतना प्यार करते हैं,,लेकिन मैं एक दिन आपको ज़रूर बताऊंगा की मैं कितना खुश हूँ,,और ये भी की मैं आपसे आपसे और पापा से कितना प्यार करता हूँ,,

    थोड़ी -थोड़ी देर में वही सारे लोग बार-बार कमरे में आते और मुझे प्यार कर देते,,,फिर ६ बजे मेरे ताऊजी और ताईजी आये,, और उनके साथ मेरी छोटी-छोटी 2 दीदी भी आये,,ईशा और सुहानी दीदी ,,इनको तो मैंने देखते ही पहचान लिया मैं इनसे इतनी बातें जो करता रहा हूँ,, ताई जी ने मुझे बहुत देर तक गोद में रखा और बहुत प्यार किया,, ताऊ जी को सर्दी थी न,,इसीलिए उन्होंने मुझे दूर से देखा,,वो कितने अच्छे है,,मुझे देखकर बोले की "अरे ये तो पूरा हमारे घर पे ही गया है" ,,,फिर 2 और मौसियाँ आयीं मेरी 3rd वाली मौसी नानी के साथ,, वो लोग भी मुझे देख कर बहुत खुश हो गयीं,, कितना गोरा है,, और कितनी सोफ्ट स्किन है इसकी,, अरे गोरा तो रहूँगा ही न ,,मेरी मम्मी इतनी सुंदर जो है,,फिर मुझे बिस्तर में सुला दिया गया,,और मेरी दादी ने अपनी ऊँगली से कुछ मीठा-मीठा सा मेरे मुंह में चटाया.....मुझे वो मीठी सी चीज़ बहुत अच्छी लगी ,, और मैं मज़े लेकर उसको चूसने लगा,, मेरी 3rd वाली गुड्डी मौसी नानी जल्दी से बोली -चीनू इसकी शूटिंग कर ,,देख कितना प्यारा लग रहा है,,कितना सुंदर मुंह बना रहा है,,सारे लोग मेरे पास बिस्तर पर ही बैठे थे,,और पता नहीं क्या-क्या बातें कर रहे थे ,,लेकिन वो लोग मेरे ही बारे में बातें कर रहे थे,, की मेरी आंखें किसके जैसी हैं ,,मेरी नाक किसके जैसी हैं,,

    अरे मैं तो अपनी मम्मी के बारे में बताना भूल ही गया था,,अब वो कमरे में आ चुकी थीं,, वो बहुत कमज़ोर दिख रहीं थीं,, वो वहां रखे एक दुसरे बिस्तर पर लेट गयीं,, मैं उनको देखना चाहता था,,कब से इंतज़ार कर रहा था मैं मम्मी का,,पर वो बहुत दूर थीं इसी लिए मुझे कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था,, मम्मी मैं आपकी गोद में आना चाहता हूँ,,आपको प्यार करना चाहता हूँ,,और आपको ये बताना चाहता हूँ की मैं कितना खुश हूँ,, और आपको बहुत सारा थैंक्स कहना चाहता हूँ,, की आपने मुझे कितनी अच्छी family दी है,, जो मुझे इतना प्यार करते हैं,,लेकिन मैं एक दिन आपको ज़रूर बताऊंगा की मैं कितना खुश हूँ,,और ये भी की मैं आपसे आपसे और पापा से कितना प्यार करता हूँ,,.......................................

Sunday 20 May 2012










ae kash kabhi aisa ho ...
tanha ho hum saare jahan se...

aur kuch baatein ho darmiyaan ...
wo baatein jo kahi na ho zaban se...








mujhse uska bichharna hua kuch aise......

Jism to reh gaya ho,rooh nikal gayi ho jaise.....

*Asmita*









kaisa jaadu tha uske chehre me . .
Dil le gayi mera lootkar saadgi us ki . . .

Wo mazaq me lete hai meri baatein saari . . .
Kahi pagal na kar de mujhko dillagi uski . . .

Dariya me doob kar bhi pyasa hai dil . . .
Sahi nahi jati mujhse tishnagi uski . . .

Dil jeet liya usne apni baaton se . .
Kya andaze bayaan, baton ki adayegi uski . . .

Umra bhi ab kam lagne lagi mujhko . . .
Gar ta-umra karni hai bandagi uski . . . .

Zindagi thehri hai meri khamosh samander si . . .
Uski zindagi udte panchi si . . Aur aawaargi uski . . . . .








Wo pal khusgawar hota hai teri meri guftagu ka . . . .
khwaabo me bhi tujhse baatien kuch haseen kar aaye . . . . .

Aajao ab to tumhare intezaar me ghadiyan guzar gayi . . . .
yu tum ko sochkar dil ko gamgeen kar aaye . . , . .

Mere dil me kaun hai ,teri yadon ke siva . .
Hum dil ke khali ghar ki talash-takseen kar aaye . . . .

Raat ke andhere me jurm ye sangeen kar aaye . . . .
Apni syaah si raatein, teri yadon se rangeen kar aaye . . . . .

ek mohabbat ke sahare jiya nahi jata,,
gum ye aisa hai jo akele piya nahi jata,,

bahut door tak jate hai,,akele mein ehsaas mere,,
bas koi ek tassavur ,,tere dil tak nahi jata..

jab kabhi main tanhai mein,,yaad na karu tujhko,,
kya karu mera aisa ,,koi bhi lamhaat nahi jata,,

dard jo uthta hai mere,,dil me merie khayalo mein,,
tere zehen tak magar,,mera koi jazbaat nahi jata,,

har ghadi bas teri,,yaado mein jiya karte hai,,
mere har fasane me tu na ho,,aise koi waqyaat nahi jata,,

kuche mein gul na ho,,to wo kucha hi kaisa,,
mere wajood se magar,,tera khayalaat nahi jata,,

tera milna ek ,,sachchai thi,,ehsaas tha ,,
ya phir ek khawab hi tha maazi mere,,
mere kashti ko kahi,,koi kinara nahi ,,
koi sahil-e-raat nahi jaata,,

bas bhatakti hu un hi ,,purani yaado mein,,
mere labo tak aakar,,is fasaane ka,,
koi bayan-aat nahi jata,,

एक मोहब्बत के सहारे जिया नहीं जाता ,,
गम ये ऐसा है जो अकेले पिया नहीं जाता ,,

बहुत दूर तक जाते है ,,अकेले में एहसास मेरे ,,
बस कोई एक तस्सवुर ,,,तेरे दिल तक नहीं जाता ..

जब कभी मैं तन्हाई में ,,याद न करू तुझको ,,
क्या करूँ मेरा ऐसा ,,कोई भी लम्हात नहीं जाता ,,

दर्द जो उठता है मेरे ,,दिल में मेरे ख्यालों में ,,
तेरे ज़हन तक मगर ,,मेरा कोई जज़्बात नहीं जाता ,,

हर घडी बस तेरी ,,यादों में जिया करते है ,,
मेरे हर फ़साने में तू न हो ,,ऐसे कोई वाक्यात नहीं जाता ,,

कूचे में गुल न हो ,,तो वो कूचा ही कैसा ,,
मेरे वजूद से मगर ,,तेरा खयालात नहीं जाता ,,

तेरा मिलना एक ,,सच्चाई थी ,,एहसास था ,,
या फिर एक खवाब ही था माजी मेरे ,,
मेरे कश्ती को कहीं ,,कोई किनारा नहीं ,,
कोई साहिल -ए -रात नहीं जाता ,,

बस भटकती हूँ उन ही ,,पुरानी यादों में ,,
मेरे लबों तक आकर ,,इस फ़साने का ,,
कोई बयाँ नात नहीं जाता ,,
—-----------







Aisi befikri kabhi nahi mili ...
Zindagi tune zimmedaar kar diya mujhe ...
Kaash jee paate hum zindagi ka ek Qatra ...
kyunki ZINDAGI NA MILEGI DOBARA.....

jo diya tune wo karte rahe shumaar hum ...
Na socha , na samjha bas apnate rahe tujhe ...
Ab ek pal mil jata jeene ko....
Ab hota nahi gawara....

Ae ZINDAGI KYA MUJHSE MILEGI DOBARA.....








romance is a formula ....someting that couples create themselves ...and every couples have their unique one .......


COUPLES . . . . . . .

If Love is the music . . . -Then let it create the tune of our heart . . . . .

If love is the dance . . . Then lets tap to its beat . . . .

If love is the rain . . . . Then let it shower us . . .

If love is a tree . . . . . Then let the fruit and flowers be grown . . . .

If love is a deep ocean . . . .
Then lets dive into its deepness . . . .

If love is clouds flying above . . .
Then lets fly high careless in the infinity . . . .

If love is a tough pythagorus theorem . . .
Then lets solve it systematically . . . . .

Coz . . . .

LOVE IS THE FORMULA THAT EVERY COUPLES HAS TO CREATE . . . . .




wo khamosh manzar tha ,,us sheher ka har sheh...
us sheher me koi shaks nahi tha jisko ehsaas ho..
kehne ko bahut tarraki kar li hai humne ...
lekin hum kisi ko usko haq kyu nahi dete...

har simt me log ,,ladaiyan,, dushwariyan ...
itne matbhed hai,,, logon me taqrar hai..
bechargi ka yeh aalam ..bechare log ....
logo ko tum ab utha kyu nahi dete ...

koi sahe to kitna ,,kahi to had ho jati...
sehenshakti ke naam par atyachaar ....
sarkar ka bhrashtachaar ....
logo ko unki had kyu nahi dete ...

mana ki duniya ab simatne ko hai...
kuchh fasle hai ,,,aur kuchh duriyan simatne ko hai,,
jaha bhi dekho log apni hi karte hai,,,,
kahi to koi gucha khila kyu nahi dete.......











बड़ी खूबसूरत ख़ता कर गए हैं ..........
मेरे प्यार की इब्तदा कर गए हैं .....

फिज़ाओं में रक्सां हैं उल्फ़त के नग्में.....
मेरी ज़िन्दगी खुशनुमा कर गए हैं .......

जिधर देखती हूँ उधर तू ही तू है ..........
मुहब्बत की अब इन्तेहाँ कर गए हैं .......

मेरी बेकरारी की हद को न पूछो .........
वो चश्मे -जवां जबसे वा कर गए हैं ...........

मुहब्बत के आसन पर उसको बिठाया .....
सनम थे ,, हम उनको खुदा कर गए हैं ....

अलालत पर मेरी वो रसमन हैं आये ......
रसम अदाएगी उनकी ,,मेरी दवा कर गए हैं ................

भरे कान ऐसे रक़ीबों ने जाकर .........
बिना कुछ बताये खफा कर गए हैं ......


इब्तदा - शुरुवात ,,,
रक्सां - नाच ,,,
उलफत -प्यार ,,,
नग्में -गीत ,,,
इन्तेहाँ - हद ,सीमा ,,,,,
चश्मे-जवां -- जवानी की आँख खुलना ,,,,,
अलालत-बिमारी ,,,
रसमन - व्यवहार,, formality ,,
रसम - FORMALITY ,,व्यवहार,,,,
रक़ीबों - प्रेमिका के प्रेमी ,,,,








माँ ,

जो हौसला बढाती है ,

अपने दक्षिण अफ्रीकी,

काले बच्चों का,

माँ,

जो पीठ ठोंकती है,

अपने बहादुर और ज़ियाले,

फिलिस्तीनी और वियेतनामी बच्चों का,

जिसके आँचल तले,

सुरक्षित समझती है,

स्वयं को,,

दुनिया की दो तिहाई आबादी,



Ajeeb tha us haseen ka izhaar-e-mohabbat ........

Lab khamosh the,, nazrein baya'n karti thi haqeeqat saari......









"MAZHABO'N AUR QUAM- ZAATO'N ME BAANT LETE HAI'N,
JAGAHO'N KO SARHADO'N ME BAANT LETE HAI'N,
AASHIYA'N BANAATE HAI'N YE APNE GUZAR-BASAR KE LIYE,
PHIR LADKAR INNKO MAKANO'N ME BAANT LETE HAI'N,
YE LOG HAI'N JO PAKEEZGI KI BAAT KARTE HAI'N,
INSAN HOKAR INSAANO'N KO BAANT LETE HAI'N,"










mere mijaz ko usne meri kaifiyat samjha . .
Meri to fitrat me hi badal jana tha . . . .

wo parwana hai mera kaynaat kehti hai..........
mujhe jalkar shama sa pighal jana tha,........

chahat ki aag mein kaun bacha hai ab tak........
ishq-e-aag me mujhe khud-b khud jal jana tha......

Uski shaksiyat hai suraj si ujali . . .
Mujhe to raat ke chand sa tanha hi dhal jana tha . . . .

Ashiq to kai hue afsane bhi kai bane . . .
Sabki kismat mein goya ki bichad jana tha . . . . .


 


 
I WAS WALKING LONG IN SEARCH OF A TRUE MATCH ;
BUT AFTER A DSTANCE I STOPPED AND GAVE A WATCH ;


WATCH THE WORLD WITH ALL DIRTY CREATURES '
WHO ATTACH TO SOMEBODY AND SURVIVE LIKE CREEPERS;

ALL OVER I SEE IS FALSE AND WRONG ;
NEVER UNDERSTAND WHAT IS GOING ON ;

AND FIGHT FOR "TRUTH" AND "TAUTOLOGY"
WITH NO ONE IS SLOWING DOWN ;

EVERYONE IS RUNNING BEHIND ;
A FALSE LUXURY PRETENCE ;
FOR THERE OWN SAKE ;
THEY FIGHT ..STRIFE AND OFFENCE ;


I DON'T KNOW WHAT TO DO ;
AND WHERE TO GO ;
IS IT THE TIME ;
TO END UP MY SEARCH AND BOW;








USKI NAZAREIN KARTI HI THI IZHAAR-E-MOHABAAT .............
..............KAMBAKHT ZULFO'N NE ROK DI GUFTAGU SAARI......










वो राहे गुज़र पे मिलता है मुझको ,
कभी मिलता भी नहीं ,

मेरे अकेलेपन पर हँसता है कभी ,
कभी हँसता भी नहीं ,

सूरज की धूप तो खिली है आंगन में ,
अँधेरा क्यों है मेरे मन में ,

वो बसता है इस दिल की बस्ती में ,
कभी बसता भी नहीं ,

मैं सारा हाल -ऐ -दिल कह दूँ उसको ,
वो अपना हाल कभी बताता है ,
कभी बताता भी नहीं ,






few lines for night.............

abhi to hosh sambhala ...........

abhi jawani aayi.........

abhi chand alfaz hi likhe.....

ae raat tujhpar.....

abhi kaha lafzo'n mein wo rawani aayi............

*avani*


Bahut Socha ,,,,, bahut samjha ,,,,,
Faqat itna hi hai jana ,,,,,,,,,,,,,,,


mohabbat me naakaami se .....
achha hai mar jana ..................

Avani Asmita Sharma

chupake saari roshni woh andhera laayi,

din to beeta hamara kisi tarah,

par ye raat apne saath phirse unki yaad laayi...

Tez dhadkonon ko sunkar bhi tumhe payar ki khabar nahi hoti,

kya mehsus karoge tum dil ka dard,

dil ke tutne ki to awaaz bhi nahi hoti.....

Ulfat mein yeh haal hota hai,

aankhen hasti hai dil rota hai,

maante hai jisse hum manzil apni,

humsafar uska koi aur hota hai....

Koi cheez bewafai se badhkar kya hogi,

gum ye halaat judai se badhkar kya hogi,